श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के फव्वारा में उमड़ी गंगा की जलधारा, तपिश से राहत दिलाने का अक्षय तृतीया पर अनुष्ठान
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर अक्षय तृतीया के मान-विधान के तहत धर्म नगरी काशी ने अनूठी परंपरा का निर्वाह किया गया। जीव जगत को तारक मंत्र देकर आवागमन के बंधनों से मुक्त करने वाले देवाधिधेव महादेव को वैशाख-जेठ की तपिश से राहत दिलाने का जतन किया।
वाराणसी, जेएनएन। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर अक्षय तृतीया के मान-विधान के तहत धर्म नगरी काशी ने अनूठी परंपरा का निर्वाह किया गया। जीव जगत को तारक मंत्र देकर आवागमन के बंधनों से मुक्त करने वाले देवाधिधेव महादेव को वैशाख-जेठ की तपिश से राहत दिलाने का भक्तों ने जतन किया। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह में मंगला आरती से ठीक पहले भोर में रजत जलधरी (फव्वारा) लगाई गई और इसका गंगधार से कनेक्शन किया।
गंगा जल की शीतल फुहार से बाबा का श्रृंगार के साथ ही किया। इससे टपकती गंगा की जलधार पूरे दिन जलधरी से टपकती रहेगी और देवाधिदेव को वैशाख-जेठ की तपिश से राहत देती रहेगी। परंपरा अनुसार सावन पूर्णिमा तक यह सिलसिला जारी रहेगा। इस बार खास यह रहा कि जलधरी तक सीधे गंगा जल आएगा। इसके लिए कारिडोर में तैनात पीएसी के जवानों ने पंप व पाइप लगाया है। इससे गंगाजल सीधे तारकेश्वर महादेव के छत पर लगी टंकी में आएगा और इससे होते जलधरी तक जाएगा। पहले जल भरने के लिए दो सेवादार लगाए जाते थे।
बाबा को अर्पित किए 1008 आम, जपे सहस्त्र नाम
पर्व विशेष पर खास वार्षिक अनुष्ठान के साथ ही आम का भी भोग लगाया गया। मध्याह्न भोग आरती के बाद बाबा को 1008 आम से दो बार शिव सहस्त्रनाम का पाठ किया गया। इससे विशाल अरघा आम से भर गया। साथ ही भक्तों में बेल व नीबू के शर्बत का प्रसाद वितरित किया गया। हालांकि कोरोना प्रोटोकाल के तहत सिर्फ आठ-दस श्रद्धालुओं को ही इसमें शामिल होने की अनुमति दी गई थी। अर्चक पं. श्रीकांत मिश्रा ने यह खास अनुष्ठान किया।
सनातन गौड़ीय मठ में आज से कान्हा का चंदन श्रृंगार
तिथियों के फेर से सोनारपुरा स्थित सनातन गौड़ीय मठ में अक्षय तृतीया के विधान शनिवार को निभाए जाएंगे। भगवान श्रीकृष्ण को चंदन अभिषेक किया जाएगा। फूलों से बने गहनों से श्रृंगार किया जाएगा। गीत-भजनों से प्रभु कीा महिमा बखानी जाएगी। सिलसिला 21 दिनों तक चलेगा।