धनी अभ्यर्थी और निर्धन साल्वर की रहती थी तलाश, फर्जीगीरी करने वाले दो टीमें करती हैं रेकी
फर्जीगीरी करने वालों की दो टीमें काम करती हैं। दोनों टीम रैकी करती हैं। एक टीम नामी कोचिंग सेंटर में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों की टोह लेती हैं। इनमें से धनी परिवार के बच्चों की पढ़ाई के स्तर के बारे में जानकारी जुटाई जाती है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। पुलिस आयुक्त सतीश ए गणेश के मुताबिक आरोपितों से पूछताछ में कई अहम जानकारियां हासिल हुई हैं। नीट में फर्जीगीरी करने वालों की दो टीमें काम करती हैं। दोनों टीम रैकी करती हैं। एक टीम नामी कोचिंग सेंटर में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं की टोह लेती रहती हैं। इनमें से धनी परिवार के बच्चों व उनकी पढ़ाई के स्तर के बारे में जानकारी जुटाई जाती है।
इसके बाद किसी तरह से उनके अभिभावक से मिलकर उन्हें आश्वस्त किया जाता है कि उनके बच्चे का हर हाल में दाखिला मेडिकल में होगा। इसकी तस्दीक कराने के लिए दो से तीन साल में चयनित हुए छात्रों के फोटो व उनका नात पता भी दिखाया जाता है। इस प्रकरण में मूल अभ्यर्थी हिना व उसके पिता गोपाल विश्वास से गिरोह के सरगना के एजेंट ने संपर्क किया था। हिना व उसके स्थान पर परीक्षा देने वाली जुली एक दूसरे को जानती व पहचानती भी नहीं हैं। दूसरी टीम निर्धन परिवार के उन बच्चों की तलाश करते हैं जो पढऩे में अच्छे होते हैं। पिछले दो वर्षों में पास हुए गरीब घर के बच्चों के घर वालों को लालच देकर फंसाते हैं। पुलिस की एक टीम हिना व उसके पिता की धरपकड़ के लिए जल्द त्रिपुरा रवाना की जाएगी।
केजीएमयू का ओसामा देता था अभ्यर्थी
साल्वर गिरोह का सरगना पीके को केजीएमयू के एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्र ओसामा शाहिद और विकास कुमार महतो अभ्यर्थी सप्लाई करते थे। दोनों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। ओसामा पढ़ाई के साथ यह भी देखता था कि कोचिंग सेंटर में मेडिकल की तैयारी करने वाले ऐसे कौन से छात्र - छात्राएं हैं तो किसी भी कीमत पर एमबीबीएस करना चाहते हैं। इसके बाद उनसे सीधे संपर्क करता था।