यूपी में ललितेश को 'तृणमूल के फूल' खिलाने की जिम्मेदारी, सपा गठबंधन से चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट
पूर्वांचल में कांग्रेस की राजधानी का केंद्र रहे औरंगाबाद हाउस का कांग्रेस से नाता टूटने के बाद इस परिवार की राजनीतिक परंपरा निबाह रहे ललितेशपति त्रिपाठी तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर एक बार फिर मडि़हान सीट से विधानसभा चुनाव में दांव आजमा सकते हैं।
मीरजापुर, जागरण संवाददाता। विधानसभा चुनाव की तपिश बढऩे के साथ ही जिले में सियासी पारा भी चढऩे लगा है। कभी पूर्वांचल में कांग्रेस की राजधानी का केंद्र रहे औरंगाबाद हाउस का कांग्रेस से नाता टूटने के बाद इस परिवार की राजनीतिक परंपरा निबाह रहे ललितेशपति त्रिपाठी तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर एक बार फिर मडि़हान सीट से विधानसभा चुनाव में दांव आजमा सकते हैं। सपा गठबंधन की कोशिश यह है कि ललितेश के जरिए उत्तर प्रदेश में 'तृणमूल का फूल' खिलाया जा सके। उनके लिए समाजवादी पार्टी ने सीट छोडऩे का प्रस्ताव भी दिया है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस की बैठक के बाद जल्द ही उनका टिकट घोषित होने की संभावना है। बातचीत में उन्होंने चुनाव लडऩे को लेकर सहमति भी जताई है। प्रस्तुत है मीरजापुर से सतीश सिंह रघुवंशी की रिपोर्ट...।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पं. कमलापति त्रिपाठी के पौत्र व पूर्व एमएलसी राजेशपति त्रिपाठी के बेटे पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी को तृणमूल कांग्रेस से टिकट मिलने की खबरों ने मडि़हान क्षेत्र में हलचल बढ़ा दी है। जिले की राजनीति उसी समय गरमा गई थी, जब बीते वर्ष 25 अक्टूबर को ललितेश ने पिता संग कांग्रेस का साथ छोड़ते हुए तृणमूल का दामन थाम लिया था। वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव और 2019 में लोकसभा का चुनाव भी हारने के बाद से ही ललितेश खुद को अकेला महसूस कर रहे थे।
विधानसभा चुनाव के पहले जनाधार एकत्र करने निकली कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा को उनकी प्रतिज्ञा यात्रा के पहले दिन ही ललितेशपति ने जोर का झटका दिया था। पूर्वांचल के साथ ही पूरे प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति की धुरी रहे औरंगाबाद हाउस का पार्टी से सौ साल से भी पुराना नाता बीते 25 अक्टूबर को पूरी तरह से टूट गया था। फिलहाल तृणमूल कांग्रेस को मजबूत करने के साथ ही ललितेशपति के कंधों पर अपने परिवार का गौरव वापस दिलाने की जिम्मेदारी भी है।
खुद ललितेश इस बात पर सहमति जताते हैं कि समाजवादी पार्टी की ओर से ललितेश के लिए मीरजापुर में मडि़हान सीट छोडऩे का प्रस्ताव दिया गया है। ऐसे में अब मडि़हान से तृणमूल कांग्रेस व सपा गठबंधन से उनके चुनाव लडऩे की संभावना बलवती होते ही मड़िहान क्षेत्र का सियासी पारा चढऩे लगा है। पटेल बाहुल्य क्षेत्र में उनके सामने क्षेत्रीय विधायक व ऊर्जा राज्यमंत्री रमाशंकर पटेल की मजबूत चुनौती भी होगी।
महत्वपूर्ण तथ्य
- मड़िहान विधानसभा क्षेत्र वर्ष 2012 में बना, इसके पूर्व राजगढ़ का हिस्सा था। कुर्मी बहुल क्षेत्र होने के कारण उनका वर्चस्व रहा जिसे ललितेश ने वर्ष 2012 में तोड़ा था।
- 2012 में कांग्रेस से ललितेशपति को 63,492 मत मिले थे, जबकि निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के सत्येंद्र कुमार पटेल को 54,969 वोट मिले थे।
- 2017 में राजगढ़ के ग्रामसभा गोल्हनपुर के रमाशंकर सिंह पटेल ललितेश को शिकस्त देकर विधायक बने। वह प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री भी हैैं।
बोले ललितेश : तृणमूल पार्टी की अध्यक्ष ममता बनर्जी के निर्देश पर कार्य किया जाएगा। अभी तक सपा की तरफ से सीट छोडऩे का प्रस्ताव है। सपा के प्रस्ताव पर बंगाल में बैठक के बाद एक-दो दिन में जैसा निर्देश मिलेगा, किया जाएगा। - ललितेशपति त्रिपाठी, पूर्व विधायक मडि़हान।