Politics की शुचिता युवाओं की जिम्मेदारी, बोले- राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश नारायण
राज्यसभा का दूसरी बार उप-सभापति चुने जाने के बाद पहली बार वहां पहुंचे हरिवंश नारायण सिंह एक तरफ जहां मुंह को मास्क और गमछे से ढंकते दिखे वहीं दूसरी ओर सबको कोरोना से सचेत भी करते रहे कि आपलोग यहां सुरक्षित हैं और सावधानी बरतिए।
बलिया, जेएनएन। कोई कितना भी बड़ा हो जाए लेकिन अपनों के बीच वो अपना ही रहता है। उनसे प्यार पाता है और उनकी चिंता करता है। यह भाव बलिया के सिताबदियारा में दिखा। राज्यसभा का दूसरी बार उप-सभापति चुने जाने के बाद पहली बार वहां पहुंचे हरिवंश नारायण सिंह एक तरफ जहां मुंह को मास्क और गमछे से ढंकते दिखे वहीं दूसरी ओर सबको कोरोना से सचेत भी करते रहे कि आपलोग यहां सुरक्षित हैं, और सावधानी बरतिए। मैं बाहर से आया हूं मुझसे दूरी बनाकर बैठिए। गर्व और खुशी के इस पल में गांव ने अपने लाल की बात मानी और अपनी बातें भी कहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि राजनीति की शुचिता युवाओं की जिम्मेदारी है।
कोई विशेष इंतजाम नहीं : हरिवंश नारायण घर के जिस हिस्से में सबसे मिल रहे थे वहां कोई विशेष इंतजाम या तामझाम नहीं था। वे एक चौकी पर बैठे थे और सबसे सहज भाव से बात कर रहे थे। सिताबदियारा के 27 टोलों के लोग बारी-बारी उनसे मिलने और बधाई देने के लिए पहुंच रहे थे।
राजनीति के गौरवशाली मूल्यों को अक्षुण्ण रखें युवा : इस मौके पर उप-सभापति ने राजनीति के गौरवशाली मूल्यों को अक्षुण्ण बनाए रखने का युवाओं से आह्वान किया। उन्होंने नई पीढ़ी से कहा कि वे राजनीति की शुचिता और परंपराओं को जिंदा रखें। यही उनका नैतिक धर्म और जिम्मेदारी है।
सादगी की मिसाल : इसके अलावा वह गांव-समाज की चर्चा में ही अपनों के बीच व्यस्त दिखे। उपसभापति के सहज-सरल स्वभाव को देखकर गांव वालों ने उनको आज के परिवेश में साधारण जीवन-उच्च विचार का संवाहक बताया। ग्रामीणों का कहना था कि मौजूदा दौर में किसी व्यक्ति को साधारण राजनीतिक पद मिलते ही उसके आचार-व्यवहार में बदलाव दिखने लगता है। उसके पीछे लाव-लश्कर संग गाडिय़ों का एक बड़ा काफिला चलने लगता है, लेकिन पत्रकारिता की दुनिया से निकलकर राज्यसभा में दोबारा उप-सभापति बने हरिवंश नारायण सिंह ने एक अलग उदाहरण पेश किया। हरिवंश अपने गांव सिताबदियारा के दलजीत टोला में मात्र एक गाड़ी पर दो सुरक्षा गार्डों के साथ पहुंचे थे।
साझा किया जनता का दर्द : उप-सभापति से बातचीत के दौरान कोई गांव की उखड़ी सड़क की बात कह रहा था तो कोई महुली में गंगा नदी के ऊपर पक्का पुल निर्माण की मांग कर रहा था। सिताबदियारा के मुखिया सुरेंद्र सिंह ने कहा कि महुली में आपके प्रयास से पीपा पुल जरूर मिला, लेकिन जब तक यहां पक्का पुल नहीं बन जाता यहां के लोगों की समस्याएं खत्म नहीं होंगी।