लैब से निकलकर शोध पहुंचेगा समाज तक
जागरण संवाददाता वाराणसी आइआइटी-बीएचयू में शोध का स्तर सुधारने के लिए तेजी से कदम उठ
जागरण संवाददाता, वाराणसी : आइआइटी-बीएचयू में शोध का स्तर सुधारने के लिए तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। अभी तक आइआइटी में होने वाले बहुत कम ही शोधों को व्यावहारिक प्लेटफार्म मिल पाता था, मगर अब कानपुर व बांबे आइआइटी की तरह यहां के शोधार्थी भी बाकायदा फील्ड में उतरकर गांव-समाज के विकास के लिए काम करेंगे। आइआइटी की आरके वीवाइ रफ्तार और एनसीएल के शोधार्थी व उद्यमी प्रदेश भर में किसानों और ग्रामीणों को नई तकनीक व शोधों का लाभ पहुंचा रहे हैं। जल्द ही इससे संबंधित एक कम्युनिटी चैनल भी शुरू किया जाएगा, जिस पर विकास कार्य व मौसम का हाल बताया जाएगा।
मंगलवार को यह जानकारी देते हुए आइआइटी-बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि अब हम प्रयोगशाला से निकलकर सीधे समाज से जुड़ेंगे। रिसर्च के कारण ही आइआइटी-बीएचयू की रैंकिग काफी बेहतर है, अब उसका आउटपुट भी सीधे सिविल सोसायटी को मिलेगा। उन्होंने बताया कि आइआइटी की एनआइआरएफ में 11वीं रैंकिग और क्यूएस में 350 के भीतर है, जो कि शोध व अनुसंधान के बलबूते ही संभव हो सका है। आइआइटी में हिदी की शुरुआत करने की बात पर उन्होंने कहा कि हिदी को बढ़ावा देने में किसी को कोई गुरेज नहीं है। संस्थान में जल्द होगा इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास : अब जल्द ही संस्थान में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें सिविल और रिसर्च दोनों गतिविधियों का संचालन तेज होगा। सिविल में छात्रों व फैकल्टी के रहने व अध्ययन-अध्यापन के लिए बेहतर स्थान व रिसर्च में मशीनों, अत्याधुनिक उपकरण व तमाम संसाधनों से प्रयोगशालाओं को लैस किया जाएगा। बीएचयू-आइटी से आइआइटी का दर्जा मिलने के बाद सरकार से अब वित्तीय प्रोत्साहन भी बढ़ा है। अब प्रयास है कि संस्थान में शोध व स्टार्टअप का एक बेहतर माहौल उपलब्ध हो। प्रो. जैन के अनुसार इस कार्य के लिए अपने पुरा छात्रों को संस्था के विकास से जोड़ा जाएगा। कैंपस में उनका विजिट और संलिप्तता बढ़ाई जाएगी। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अब काशी यात्रा व दीक्षा समारोह समेत तमाम महोत्सव वर्चुअल मोड में ही आयोजित होंगे।