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काशी से केरल पहुंचे युवा समाजसेवी, राहत और बचाव में दे रहे योगदान

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दस युवा केरल में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद मदद के लिए पहुंचे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 01:19 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 01:19 PM (IST)
काशी से केरल पहुंचे युवा समाजसेवी, राहत और बचाव में दे रहे योगदान
काशी से केरल पहुंचे युवा समाजसेवी, राहत और बचाव में दे रहे योगदान

वाराणसी : प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दस युवा केरल में आई विनाशकारी बाढ़ से प्रभावितों की मदद के लिए पिछले 28 अगस्त से लगे हैं। सभी युवक बाढ़ से सबसे प्रभावित जिला अलप्पी में गांवों में घूम- घूमकर लोगों के घरों और बस्तियों की साफ-सफाई कर रहे हैं।

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प्रतिदिन ब्लीचिंग पाउडर, फिनाइल, डेटॉल झाड़ू, ब्रश, फावड़ा, डस्टबिन साबुन आदि की बड़ी खेप लेकर प्रभावित क्षेत्र के अलग अलग गांव व बस्तियों में पहुंच रहे हैं। स्थानीय लोगों के साथ मिलकर जिन घरों में बुजुर्ग या सिर्फ महिलायें हैं उनके घर और आसपास की साफ सफाई में मदद कर रहे हैं। गांव वालों के मुताबिक संकट की इस घड़ी में असहाय परिवारों के लिये ये नवयुवक किसी फरिश्ते से कम नही है।

बाढ़ राहत सेवा कार्य में शामिल लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर ने बताया कि मीडिया में लगातार केरल में आये विनाशकारी बाढ़ की खबर आ रही थी जिससे हम सभी को बेचैन कर दिया था। हम सभी सामाजिक संस्था लोक समिति और साझा संस्कृति मंच के माध्यम से पीड़ितों की मदद के लिये चंदा एकत्रित किया और यहां आकर बाढ़ पीड़ितों की सेवा करने का निर्णय लिया। बनारस से कुल दस नवयुवक तैयार हुए। जिसमें लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर, सासद आदर्श गांव नागेपुर के पूर्व प्रधान मुकेश कुमार, इसी गांव के महेंद्र राठौर, डब्लू राठौर, साझा संस्कृति मंच से फादर दयाकर, आइएमएस से सुरजीत अनिल, सुनील, अभय प्रसन्ना शामिल हैं। कुछ राहत सामग्री लेकर सभी 28 सितम्बर को ट्रेन का जनरल टिकट लेकर केरल रवाना हुए और तीन रात दो दिन कुल साठ घटे की यात्रा करके केरल में बाढ़ की तबाही से सबसे प्रभावित जिला एलप्पी पहुंचे। यहां पहले से ही आइएमएस संस्था की स्थानीय यूनिट बाढ़ प्रभावित जिले में काम कर रही है। उनसे सम्पर्क किया गया फिर साथ जुड़कर लोगों की सेवा में जुट गए।

साझा संस्कृति मंच के फादर दिवाकर ने बताया कि यहा देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए अलग-अलग संगठनों के लोग भी सेवाकार्य में लगे हैं। लेकिन बाढ़ का पानी कम होने के साथ गंदगी व दूषित परिवेश से महामारी न फैले इसका ख्याल रखना भी जरुरी है। केरल में बाढ़ की विभिषिका की खबर लगते ही वे स्वत:स्फूर्त केरल जाने का मन बनाया। केरल पहुंचने के बाद उनकी टीम ने एलप्पी क्षेत्र में लोगों से सीधा संपर्क स्थापित कर उनकी जरूरतों में हाथ बटाना शुरू किया। बताया कि दिल्ली छत्तीसगढ़ के कुछ सेवाभावी बहनें भी उनके साथ जुड़ गयी हैं। इससे उनकी अच्छा टीम बन गई है। यह टीम लोगों के घर की साफ- सफाई के साथ ही ऐसे परिवार जहा सहयोग की ज्यादा जरूरत है, वहा पहुंचकर हर जरूरी कार्यो में हाथ बंटा रहे हैं।

प्रधानमंत्री सासद आदर्श गांव नागेपुर के पूर्व ग्रामप्रधान मुकेश कुमार ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य झुग्गी बस्तियों तक पहुंचकर जरूरतमंदों को मदद करना है। जितना संभव है, वे लोगों की मदद कर रहे हैं। हालात अभी भी बिगड़े हुए हैं। हजारों लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। सुबह से देर रात तक प्रभावित क्षेत्र में जा रहे हैं। जिन क्षेत्रों से होकर बाढ़ का पानी गुजरा है, वहा के लोगों की जिंदगी तबाह हो गई है। आवास, भोजन के सारे संसाधन समाप्त हो गए हैं। सड़कों पर नष्ट हुई सामग्रिया जहा-तहा बिखरी पड़ी हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वर्तमान में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, अन्यथा बीमारियों का खतरा पैदा हो सकता है।

सेवादल में शामिल नागेपुर निवासी महेंद्र राठौर ने बताया कि एलप्पी में एक ऐसे घर में उन्हें काम करने का अवसर मिला, जहा सिर्फ एक वृद्घा मौजूद थी। परिवार में उसका कोई नहीं था। वह न तो घर की साफ-सफाई कर पा रही थी और न ही सामानों को व्यवस्थित तरीके से रख पाने की उनमें ताकत थी। ऐसे में उनकी टीम ने महिला के घर की साफ-सफाई की, सामानों को व्यवस्थित तरीके से रखा। युवाओं के सेवाभाव से वृद्घा ने उन्हें सीने से लगा लिया। जावेद ने बताया कि ऐसे कई परिवार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नजर आ रहे हैं, जिन्हें तत्काल मदद की आवश्यकता है।


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