वाराणसी के नगर निगम के ऐतिहासिक भवन को नवजीवन, मूल स्वरूप को बरकरार रख किया जा रहा जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण कार्य
सिगरा स्थित नगर निगम मुख्यालय के ऐतिहासिक भवन को नवजीवन देने का काम शुरू हो गया है। मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण कार्य कराया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर रुद्राक्ष के समानांतर इसे भव्य बनाया जाएगा।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। सिगरा स्थित नगर निगम मुख्यालय के ऐतिहासिक भवन को नवजीवन देने का काम शुरू हो गया है। मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण कार्य कराया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर रुद्राक्ष के समानांतर इसे भव्य बनाया जाएगा। श्रीकाशी विश्वनाथ, बुद्ध, बीएचयू, धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप संग वेधशाला की झलक दिखेगी।
वर्तमान में नगर निगम की इस तीन मंजिल भवन का रंग फीका पड़ गया है। रोजाना कार्यालय आते-जाते नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने इस ओर ध्यान दिया और इसकी साज-सज्जा को आकर्षक बनाने के लिए पहल की। इसके लिए उन्होंने अपने अधीनस्थ अधिकारियों से वार्ता कर नगर निगम मुख्यालय भवन को आकर्षक बनाने का फैसला किया। नगर निगम मुख्यालय का प्रवेश द्वार की भव्य सजावट के साथ ही आकर्षक बनाया जाएगा ताकि वहां आने वाले लोगों की आंख तत्काल प्रवेश द्वार पर पहुंचे। इसके लिए लोहे के चैनल गेट पर एक्रायलिक एलईडी से लैस स्वागत बोर्ड लगाया जाएगा। हवाखोरी के लिए लगी सीमेंटेड जाली की जगह पर ग्लास लगाया जाएगा ताकि धूल-गर्द से बचते हुए भवन में पर्याप्त रोशनी रहे। नगर आयुक्त प्रणय ङ्क्षसह ने बताया कि बनारस की सांस्कृतिक महत्व वाले सभी स्थलों को नगर निगम भवन पर ग्लोशाइन बोर्ड के माध्यम से दर्शाया जाएगा। श्रीकाशी विश्वनाथ के साथ ही भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ के धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप (सीता रसोइया), अशोक स्तंभ, शिक्षा के लिए पूरे विश्व में विख्यात बीएचयू, राजा जय सिंह द्वारा निर्मित वेधशाला को प्रदर्शित किया जाएगा। वर्ष 1963 में निर्मित नगर निगम के मुख्यालय भवन के सामने का हिस्सा पूरी तरह से चुनार पत्थर निर्मित है। उस समय यह भवन लाल रंग का दिखता था, लेकिन कालांतर में इस पर धूप, गर्मी, शीत और धूल के कारण इसका रंग फीका पड़ गया। अब इसी पत्थर को घिसकर उसके मूलरंग में लौटाकर पूरे भवन के सामने का हिस्सा लाल रंग में किया जाएगा। धर्म, कला, संस्कृति व आध्यात्म की प्राचीन राजधानी काशी में 16 जनवरी 1963 में बना यह भवन उस समय का सबसे बेहतर व आकर्षक भवन हुआ करता था। तब खुद सीएम रहे डा. चंद्रभानु गुप्त इसका उद्घाटन करने आए थे।
वाराणसी नगर महापालिका के इस भवन की बेहतरी की कल्पना सीएम रहे डा. संपूर्णानंद ने भी की थी और बेहतरी के लिए वह हर जतन करते रहे। ने के लिए पहल की। इसके लिए उन्होंने अपने अधीनस्थ अधिकारियों से वार्ता कर नगर निगम मुख्यालय भवन को आकर्षक बनाने का फैसला किया। नगर निगम मुख्यालय का प्रवेश द्वार की भव्य सजावट के साथ ही आकर्षक बनाया जाएगा ताकि वहां आने वाले लोगों की आंख तत्काल प्रवेश द्वार पर पहुंचे। इसके लिए लोहे के चैनल गेट पर एक्रायलिक एलईडी से लैस स्वागत बोर्ड लगाया जाएगा।
हवाखोरी के लिए लगी सीमेंटेड जाली की जगह पर ग्लास लगाया जाएगा ताकि धूल-गर्द से बचते हुए भवन में पर्याप्त रोशनी रहे। नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने बताया कि बनारस की सांस्कृतिक महत्व वाले सभी स्थलों को नगर निगम भवन पर ग्लोशाइन बोर्ड के माध्यम से दर्शाया जाएगा। श्रीकाशी विश्वनाथ के साथ ही भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ के धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप (सीता रसोइया), अशोक स्तंभ, शिक्षा के लिए पूरे विश्व में विख्यात बीएचयू, राजा जय सिंह द्वारा निर्मित वेधशाला को प्रदर्शित किया जाएगा। वर्ष 1963 में निर्मित नगर निगम के मुख्यालय भवन के सामने का हिस्सा पूरी तरह से चुनार पत्थर निर्मित है। उस समय यह भवन लाल रंग का दिखता था, लेकिन कालांतर में इस पर धूप, गर्मी, शीत और धूल के कारण इसका रंग फीका पड़ गया। अब इसी पत्थर को घिसकर उसके मूलरंग में लौटाकर पूरे भवन के सामने का हिस्सा लाल रंग में किया जाएगा। धर्म, कला, संस्कृति व आध्यात्म की प्राचीन राजधानी काशी में 16 जनवरी 1963 में बना यह भवन उस समय का सबसे बेहतर व आकर्षक भवन हुआ करता था। तब खुद सीएम रहे डा. चंद्रभानु गुप्त इसका उद्घाटन करने आए थे। वाराणसी नगर महापालिका के इस भवन की बेहतरी की कल्पना सीएम रहे डा. संपूर्णानंद ने भी की थी और बेहतरी के लिए वह हर जतन करते रहे।