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विश्‍व मोटापा दिवस 2020 : आयुर्वेद से कुछ ही दिनों में घर बैठे करें मोटापा दूर, अपनाएं यह घरेलू उपाय

मोटापा यानी स्थौल्य एक बेहद गंभीर बीमारी है जो हर वर्ग के लोगों को हो रही है और छोटे-छोटे बच्चे से लेकर बूढ़े लोग भी इससे अछूते नहीं हैं। आयुर्वेद में इसे मेदोरोग या स्थौल्य कहा जाता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 11:10 AM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 04:54 PM (IST)
विश्‍व मोटापा दिवस 2020 : आयुर्वेद से कुछ ही दिनों में घर बैठे करें मोटापा दूर, अपनाएं यह घरेलू उपाय
मोटापा हर वर्ग के लोगों को हो रहा है और छोटे-छोटे बच्चे से लेकर बूढ़े लोग इससे अछूते नहीं हैं।

वाराणसी, जेएनएन। मोटापा यानी स्थौल्य एक बेहद गंभीर बीमारी है जो हर वर्ग के लोगों को हो रही है और छोटे-छोटे बच्चे से लेकर बूढ़े लोग भी इससे अछूते नहीं हैं। आयुर्वेद में इसे मेदोरोग या स्थौल्य कहा जाता है। शरीर में जब मेद धातु की अधिक वृद्धि हो जाती है तब उसे मेदोरोग कहा जाता है। मोटापा बहुत सी स्वास्थ्य बीमारियों को जन्म देता है जैसे डायबिटीज, हाइ ब्लड प्रैशर, दिल की बीमारियां, स्ट्रोक, अनिद्रा की बीमारी, किडनी की बीमारी, फैटी लिवर की बीमारी, औस्ट्येआर्थराइटिस- जोड़ों की बीमारी आदि। इसलिए समय रहते मोटापे पर काबू पाना बहुत जरुरी हो जाता है।

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चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डॉ. अजय कुमार ने जागरण से बातचीत में बताया कि शरीर के निर्माण में रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, और शुक्र कुल सात धातुओं का योगदान होता है

इनमे सें सभी धातुओं का अलग अलग महत्वपूर्ण कार्य होता है। इसमें से मेद का कार्य शरीर में स्नेह गुण बनाये रखना है तथा इसी मेद से अस्थियों का निर्माण होता है और अस्थियो के अंदर रहने वाले लाल वर्ण के मेद से रक्त यानी ब्लड का निर्माण होता है।

आचार्य सुश्रुत के अनुसार मेद के क्षय से संधियों यानी जोड़ों में दर्द होने लगता है, खून की कमी होने लगती है तथा शरीर में रुक्षता होने लगती है। इसी मेद की वृद्धि से पेट के ऊपर और कमर पर चर्बी इकट्ठा होने लगता है तथा शरीर से दुर्गन्ध आने लगती है। इसी बात को आयुर्वेद के महान अचार्य चरक ने बताया है कि अत्यधिक मेदवर्धक आहार लेने से मनुष्य में स्थूलता की वृद्धि होने लगती है और इनमे निम्न कठिनाई होने लगती है -

अत्यधिक स्थूलता/मोटापे से होने वाली समस्या

1. मेदस्वी रोगी में केवल मेद धातु की पुष्टी होती है। बाकी धातुओं को पोषण नही मिलता और उस वजह से आयु का नाश हो जाता है।

2. अधिक मोटापे की वजह से काम करने में असमर्थ होता है और उत्साह नहीं होता है।

3. शुक्र का पोषण न होने से मैथुन की इच्छा कम होने लगती है।

4.  शरीर में आवश्यक धातुओं का पोषण ठीक तरहसे न होने से थकान और कमजोरी जल्दी लगने लगती है ।

5. मेद वृद्धि से पसीना ज्यादा आता है इसलिये पसीने की वजह से शरीर में दौर्गंध्य रहता है ।

6. पसीना अधिक आता है।

7.  भूख अधिक लगती है ।

8. मेदोरोगी को प्यास भी अधिक लगती है ।

कैसे करे अपने मोटापे की गणना

मोटापे को जानने के लिए सबसे अधिक प्रचलित तरीका है BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स। BMI निकलने के लिए सबसे पहले अपना वजन करें। मीटर में अपनी ऊंचाई देखें। ऊंचाई को वर्ग निकाल लें और वजन में भाग दे दें। अब जो वैल्यू आती है वही आपकी बॉडी मास इंडेक्स है।

बॉडी मास इंडेक्स की व्‍याख्‍या

18.5 से कम बीएमआई यानि अंडरवेट

18.5-25 के बीच बीएमआई यानि हेल्‍दी वेट

25-30 से बीच बीएमआई यानि ओवरवेट

30-40 के बीच बीएमआई यानि मोटापे से ग्रस्‍त

40 से ज्‍यादा बीएमआई यानि ज्‍यादा मोटापा

कैसे और क्यों आता है मोटापा

1. अधिक मात्रा में भोजन करना

2. दही, पनीर, फुल क्रीम दूध या दूध के उत्पादों का अधिक सेवन

3. मिठाई का जरूरत से ज्यादा सेवन

4. खाने के तुरंत बाद पानी पी लेना

5. चावल या गेहूं से बनी चीजों का ज्यादा सेवन।

6. दोपहर के भोजन के तुरंत बाद सो जाना

7. खान-पान का गलत मेल, जैसे दूध के साथ केला या मांसाहारी भोजन करना

8. अधिक वसायुक्त भोजन का अधिक सेवन

9. शर्करायुक्त भोजन करना

10. कोई मेहनत का काम नही करना

11. आलस्य पूर्वक रहना

12. हमेशा सोते रहना

इलाज़ क्या है मोटापे का

आयुर्वेद में ऐसी बहुत सी औषधियों है, जो मोटापे के लिए बेहद फायदेमंद हैं और इनके उपयोग से मोटापे को दूर किया जा सकता है।

1. गुडूची के सेवन

2. नागरमोथा का सेवन

3. त्रिफला का सेवन

4. मधूदक यानी शहद पानी के साथ लेने से मोटापा कम होता है

5. अमला के चूर्ण, शुंठी, क्षार आदि के प्रोयोग से

6. जौ का आटा के सेवन से लाभ होता है।

7. बृहद पंचमूल के सेवन से

8. अग्निमंथ का सेवन शिलाजीत के साथ करने से

9. खान पान के अलावा रातभर जागने से, व्यायाम से तथा मानसिक परिश्रम से भी वजन कम होता है।

10. पंचकर्म चिकित्सा विधाओं जैसे वमन, विरेचन, उपवर्तन, स्वेदन और वस्ति के द्वारा भी मोटापे को नियंत्रित किया जा सकता है।

11. कम प्रोटीन और वसा वाली हल्की दालों मूंग, मंसूर को प्राथमिकता देनी चाहिए। उड़द राजमा छोले आदि से परहेज करना चाहिए।


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