श्रीराम के नाम पर धर्म-जाति का गौरव जागरण अनुष्ठान, रामपंथ बनाकर उपेक्षित समाज के लोगों को दिला रहे सम्मान
Rampanth in Varanasi श्रीराम आश्रम के संस्थापक इंद्रेश कुमार के अनुसार सबके राम सबमें राम का संदेश है देशभर में राम संस्कृति का विस्तार और जातियों में समरसता का विकास। रामपंथ ने सबको पूजा करने और पुजारी बनने का अधिकार दिया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : भगवान श्रीराम ने अपनी लीलाओं में हर जाति को स्थान दिया। जंगलों में उपेक्षितों को सम्मान दिया, उन्हें अपने जीवन प्रसंगों से जोड़कर गौरव भान कराया। इसके बाद भी समाज में कायम छोटे-बड़े का भाव समाजसेवी प्रो. राजीव श्रीवास्तव को कचोटता रहा। इस खाई को पाटने के लिए उन्होंने श्रीराम को ही आधार बनाया है। आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार की प्रेरणा से मुंशी प्रेमचंद के गांव लमही में श्रीराम आश्रम बनाने के साथ रामपंथ का गठन किया। सबके राम-सबमें राम को सूत्र वाक्य मानते हुए पिछड़ी जातियों और आदिवासी समाज को मुख्यधारा की ओर मोडऩे का अभियान छेड़ा है। दो दिन पहले मुसहर, खरवार जैसी पिछड़ी जातियों व आदिवासी समाज के 125 लोगों को श्रीराम मंत्र दिया गया। पं. श्रीराम तिवारी ने वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर उन्हें तिलक लगाया, गंगाजल से आचमन करा तुलसी की कंठी पहनाई और रामनामी यंत्र व रामनाम गुरु मंत्र दिया।
हर गांव में होगा श्रीराम परिवार का मंदिर
श्रीराम आश्रम के संस्थापक इंद्रेश कुमार कहते हैं, 'सबके राम, सबमें राम का संदेश है देशभर में राम संस्कृति का विस्तार और जातियों में समरसता का विकास। इसके लिए हर गांव में श्रीराम परिवार का मंदिर बनाया जाएगा। इसमें श्रीराम-माता जानकी, भरत-मांडवी, लक्ष्मण-उर्मिला, शत्रुघ्न-श्रुतकीर्तिव संकटमोचन हनुमान विराजमान होंगे। पंथ के संस्थापक डा. राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि रामपंथ ने सबको पूजा करने और पुजारी बनने का अधिकार दिया है।
इस पंथ में होंगे नौ विभाग
रामपंथ के मंदिर-आश्रम में नौ विभाग होंगे। पूजा-अर्चना करने वाला रामाचार्य, शिक्षा-संस्कृति का विस्तार करने वाला भरताचार्य, आश्रम व मंदिर व्यवस्था देखने वाला लक्ष्मणाचार्य, धर्म विरोधी गतिविधियों पर नियंत्रण करने वाला शत्रुघ्नाचार्य, संस्कृति-वेद व मंत्र से जोडऩे वाले जानकीचार्या, भंडार की व्यवस्था करने वाला मांडवीचार्या, भोजन-प्रसाद की व्यवस्था करने वाला उर्मिलाचार्या, गतिविधियों की सूचना देने वाला श्रुतिकीर्तिचार्या, सेवा विभाग का प्रमुख हनुमानाचार्या कहलाएगा। रामाचार्य गरम वस्त्र धारण नहीं करेंगे, हमेशा श्वेत वस्त्र व रुद्राक्ष की माला पहनेंगे।
हमारे पूर्वजों ने श्रीराम का सहयोग किया था मगर हमें उनकी सेवा के अधिकार से वंचित रखा गया। इस पंथ ने हमें यह अधिकार दिया है।
-उषा खरवार, सोनभद्र
रामपंथ सबको पूजा करने और पुजारी बनने का अधिकार देता है। हमें भगवान श्रीराम ने सब दिया है। नहीं दिया था तो बस यह सम्मान। अब वह भी मिल गया।
-दूधनाथ खरवार, जौनपुर
हमें जो अधिकार गांधी, आंबेडकर और सरकारें नहीं दिला सकीं, रामपंथ ने हमें दिया। हमें भी मंदिर का पदाधिकारी बनने का सुअवसर दिया।
-ठाकुर राजा रईस, लखनऊ
जो सम्मान हमें बहुत पहले मिलना चाहिए था, वह अब प्राप्त हुआ है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें राम की सेवा का फिर से अवसर मिला है।
-द्वारिका प्रसाद खरवार, सोनभद्र