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पांच नहीं, चोरी की 25 ट्रकों का हुआ पंजीयन, मध्य प्रदेश में पंजीकृत ट्रकों का झारखंड से टीआर लेकर आए

परिवहन कर्मियों की मिलीभगत से चोरी की पांच ट्रकों का नहीं बल्कि 25 ट्रकों का परिवहन कार्यालय में पंजीयन हुआ है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 11:19 AM (IST)Updated: Mon, 30 Dec 2019 11:19 AM (IST)
पांच नहीं, चोरी की 25 ट्रकों का हुआ पंजीयन, मध्य प्रदेश में पंजीकृत ट्रकों का झारखंड से टीआर लेकर आए
पांच नहीं, चोरी की 25 ट्रकों का हुआ पंजीयन, मध्य प्रदेश में पंजीकृत ट्रकों का झारखंड से टीआर लेकर आए

वाराणसी [जेपी पांडेय]। परिवहन कर्मियों की मिलीभगत से चोरी की पांच ट्रकों का नहीं, बल्कि 25 ट्रकों का परिवहन कार्यालय में पंजीयन हुआ है। जांच में चोरी की 25 ट्रकों का परिवहन कार्यालय में पंजीकृत होने का मामला प्रकाश में आते ही अधिकारियों और कर्मचारियों के होश उड़ गए हैं। मध्य प्रदेश में पंजीकृत ट्रकों के तथाकथित मालिक झारखंड से टेंपरेरी रजिस्टे्रशन (टीपी) लेकर आए थे। उसी के आधार पर परिवहन कार्यालय में पंजीयन कराकर शहर में दौड़ रहे हैं। अब परिवहन अधिकारी कार्रवाई की तैयारी में जुट गए हैं।

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चोरी की गाडिय़ों का परिवहन कार्यालय में पंजीयन कराने का गिरोह काम कर रहा है। दो साल से एक-एक कर परिवहन कार्यालय में 25 ट्रकों का पंजीयन हो गया। गिरोह मध्य प्रदेश में पंजीकृत ट्रकों के चेचिस और इंजन नंबर के सहारे फर्जी सेल लेटर बनाकर तथा झारखंड से टीपी लेकर बाबतपुर परिवहन कार्यालय में ट्रकों का पंजीयन कराते रहे।

ट्रक को टैंकर में किया कन्वर्ट

चोरी की ट्रक को तथाकथित मालिकों ने पंजीयन कराने के बाद उसमें से कुछ ट्रकों को टैंकर में कन्वर्ट कर शहर में चला रहे हैं। चेकिंग के दौरान परिवहन अधिकारी और पुलिस टैंकर को कम चेक करते हैं, क्योंकि वे किसी ने किसी कंपनी से संबद्ध रहते हैं। ऐसे में अधिकारी मानते हैं कि टैंकर के कागजात सही होंगे।

पंजीयन अनुभाग में खेल पुराना

परिवहन विभाग में चोरी की गाडिय़ों का खेल कोई नया नहीं है। इसके पहले भी कई मामले उजागर हो चुके हैं। दो दशक में 100 से अधिक विभिन्न प्रकार के चोरी की गाडिय़ों का पंजीयन होने का मामला उजागर होता रहा है।

मंत्री से कराते हैं पैरवी

परिवहन विभाग में पंजीयन अनुभाग मलाईदार माना जाता है। यहां तैनाती कराने के लिए परिवहन विभाग के बाबू मंत्री से लेकर पंचम तल तक पैरवी कराते हैं। कई बार तो विधायक और अफसर आमने-सामने हो गए हैं। पूर्व परिवहन मंत्री के यहां पंचायत होने पर दूसरा रास्ता निकाला। बाबू को आधा-आधा काम बांट दिया गया जिससे विवाद की स्थिति पैदा नहीं हो।


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