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रमजान 2021 : शब-ए-कद्र की पहली रात आज, मगरिब की अजान होते ही शुरू हो जाएगा रमजानुल मुबारक का आखिरी अशरा

रमजान 2021 यूं तो पूरे साल में 365 रातें हैं लेकिन सब एक जैसी अजमत वाली नहीं हैं। इनमें से बहुत सी ऐसी रातें हैं जिनकी अहमियत और फजीलत दूसरी रातों से कई गुना अधिक है। जितनी भी फजीलत वाली रातें हैं सबके अपने मखसूस आमाल हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 06:50 AM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 01:22 PM (IST)
रमजान 2021 : शब-ए-कद्र की पहली रात आज, मगरिब की अजान होते ही शुरू हो जाएगा रमजानुल मुबारक का आखिरी अशरा
जहन्नम से आजादी का तीसरा अशरा शुरू हाेगा और रोजेदार अजीम शब-ए-कद्र की पहली रात का इस्तकबाल करेंगे।

वाराणसी, जेएनएन। मगफिरत का दूसरा अशरा सोमवार को मगरिब की अजान के साथ समाप्त हो जाएगा। इसी के साथ जहन्नम से आजादी का तीसरा अशरा शुरू हाेगा और रोजेदार अजीम शब-ए-कद्र की पहली रात का इस्तकबाल करेंगे। उलमा-ए-कराम ने रोजेदारों से इबादतों संग कोरोना से निजात व बीमारों की शिफा के लिए दुआ मांगते रहने की अपील की है। हर बंदा बारगाहे इलाही में रहमतों का मुंतजिर हो, ताकि मुश्किलों का यह दौर थम जाए।

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यूं तो पूरे साल में 365 रातें हैं, लेकिन सब एक जैसी अजमत वाली नहीं हैं। इनमें से बहुत सी ऐसी रातें हैं जिनकी अहमियत और फजीलत दूसरी रातों से कई गुना अधिक है। जितनी भी फजीलत वाली रातें हैं, सबके अपने मखसूस आमाल हैं। इन रातों का किताबों में जिक्र भी है। इन्हीं रातों में से एक अजीम रात शब-ए-कद्र है, जिसे तकदीर वाली रात भी कहते हैं। इब्ने अब्बास ने लिखा है कि इस रात को शब-ए-कद्र इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें अगले साल तक के लिए इंसान का मुकद्दर लिख दिया जाता है। चाहे ये मुसीबत हो या मौत हो या रोजी-रोटी। शब-ए-क्रद वह अजीम रात है, जिसके बारे में फरमाया गया है कि इस एक रात इबादत करना हजार महीनों की इबादत से अफजल है। मौलाना कलाम नूरी ने बताया कि रमजान का आखिरी अशरा जहन्नुम से आजादी का है, जो सोमवार मगरिब से शुरू होगा। आखिरी अशरे की ताक रातों (21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं व 29वीं) में इबादतों के जरिए 'शब-ए-कद्र' की तलाश करने का हुक्म है।

एतकाफ में शिफा और राहत मांगेंगे इबादत गुजार

मौलाना हसीन अहमद हबीबी बताते हैं कि सोमवार मगरिब के वक्त से तीसरा अशरा शुरू हो जाएगा। इस अशरे में मस्जिदों में एतकाफ में बैठने का हुक्म है। यदि किसी मोहल्ले से एक भी बंदा एतकाफ पर बैठता है तो पूरे मोहल्ले पर खुदा की रहमत नाजिल होती है। वहीं यदि कोई नहीं बैठा तो पूरा मोहल्ला गुनहगार होता है। एतकाफ के लिए सूरज ढलने से पहले मस्जिद में पहुंचने के हुक्त है। एहतियात के तौर पर इबादतगुजार अस्र की नमाज के वक्त पहुंच सकते हैं। लोगों से अपील है कि ज्यादा से ज्यादा लोग मस्जिदों में एतकाफ में रहे और बीमारों की शिफा, कोरोना से निजात, मुल्क की तरक्की व खुशहाली की दुआ करें।


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