राम मय हो गई थी बाबा की नगरी, छह दिसंबर 1992 को याद कर बीएचपी के पदाधिकारी हो रहे रोमांचित
राम मंदिर लहर में राम मय हो गई थी बाबा की नगरी काशी। छह दिसंबर 1992 को याद कर बीएचपी के पदाधिकारी आज भी हो रोमांचित हो रहे।
वाराणसी, जेएनएन। दिसंबर का महीना था। सर्द हवा बह रही थी। कैंट स्टेशन परिसर में विश्व हिंदू परिषद के सदस्य शिविर लगाकर खड़े थे। युवाओं की टोली ट्रेन से अयोध्या जा रही थी। भजन-कीर्तन से पूरा परिसर भक्तिमय हो गया था। वहीं, शहर का कोना-कोना राम नाम के झंडे से पटा पड़ा था।
चार दिसंबर से कार सेवा के लिए राम लाल जा रहे युवाओं की टोली को लंच पैकेट व भूजा दिया जा रहा था। यह कारवां अनवरत चलता रहा। किसी को नहीं पता था कि वहां विवादित ढांचा ध्वस्त किया जाएगा। सिर्फ मंदिर निर्माण के लिए कार सेवा करने की बात चल रही थी कि तभी छह दिसंबर 1992 को सूचना आई कि विवादित ढांचा के तीन गुंबद गिरा दिए गए। इसके बाद मानो पूरा शरीर उमंग से भर गया। यह बात करते हुए आज भी विश्व हिंदू परिषद के सुधीर मेहरोत्रा की आंखें चमक जाती हैं। गुरुवार को दैनिक जागरण ने जब उनसे मुलाकात की तो उनका जोश देखने बन रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ से भूमि पूजन की जानकारी के बाद से ही उन्हें महसूस होने लगा है कि जीवन सफल हो गया। उन्होंने कहा कि पूरा जीवन राम मंदिर निर्माण के लिए समर्पित कर दिया। 25 वर्ष से अधिक का दिन बीत गया है लेकिन हर पल की यादें आज भी जेहन में ताजा हैं। बहुत इच्छा थी अयोध्या जाने की लेकिन संगठन की ओर से निर्देश मिला था कि बनारस में ही रहकर कार सेवकों की सेवा करना है। बताया कि संगठन ने उन्हें काशी महानगर सह मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी। बाद में विभिन्न पदों पर रहा।
...तो राम नाम के झंडे पट जाएगा शहर
अब संगठन में किसी पद की जिम्मेदारी नहीं संभाल रहे हैं लेकिन राम मंदिर निर्माण को लेकर आस्था पहले की भांति ही हिलोरें मार रही हैं। मन है कि पीएम के हाथ से होने वाले भूमि पूजन समारोह में शिरकत करें लेकिन कोरोना संक्रमण की पाबंदियों ने रोक रखा है। हालांकि, यहीं पर रहकर मनोभाव को व्यक्त करने की मंशा है। यदि जिला प्रशासन ने अनुमति दी तो पूरे शहर को राम नाम के झंडे से पाट दिया जाएगा।