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रामनगर की रामलीला : एक साल बाद हुई मुलाकात तो जुड़े हाथ गूंजा जय सियाराम

काशी के उपनगर रामनगर में रविवार को मानो त्रेता युग उतर आया। हर डगर पर रामचर्चा और रामजी की लीला दर्शन के लिए अपार जनसमूह तीसरे पहर रामबाग में जा मिला।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 10:14 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 08:05 AM (IST)
रामनगर की रामलीला : एक साल बाद हुई मुलाकात तो जुड़े हाथ गूंजा जय सियाराम
रामनगर की रामलीला : एक साल बाद हुई मुलाकात तो जुड़े हाथ गूंजा जय सियाराम

वाराणसी [प्रमोद यादव] : शिव की नगरी काशी के उपनगर रामनगर में रविवार को त्रेता युग उतर आया। हर डगर पर रामचर्चा और रामजी की लीला दर्शन के लिए अपार जनसमूह तीसरे पहर रामबाग में जा मिला। कंधे पर झोला, एक हाथ में मानस पोथी तो दूसरे में छड़ी और नजरें लीला के इंतजार में शुभ घड़ी पर गड़ी। एक साल के अंतराल पर नेमियों का एक दूसरे सामना हुआ तो हाथ तो जुड़े ही रामरम्मी से अभिवादन किया। 'जयसियाराम भइया' के साथ अकवार में समेटा और रामलीला शुरू होने से पहले ही भरत मिलाप सदृश दृश्य उत्पन्न कर दिया। मासपर्यंत चलने वाली अनूठी लीला की झांकी दर्शन के लिए साधु-संन्यासियों के जत्थे तो उमड़े ही गृहस्थजनों का रेला भी बाग के दायरे पर भारी पड़ा। इसके साथ ही इत्र-फुलेल  की खुशबू से पूरा इलाका महमह कर उठा। 

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टिमटिमाती डिबरी का गिलहरी प्रयास 

रात के आठ बजे तक रामनगर स्थित दुर्गा मंदिर के सामने विशाल पोखरे के पश्चिमी व दक्षिणी छोर की सीढिय़ां नर-नारी, बच्चों से खचाखच भर चुकी थी। रोशनी के नाम पर भादो शुक्ल चतुर्दशी के चांद की चटक चांदनी और चिनिया बदाम के खोमचों पर टिमटिमाती डिबरी गिलहरी प्रयास में जुटी तो क्षीर सागर का रूप ले चुके पोखरे में श्रीहरि की झांकी के पास दो पेट्रोमैक्स से उजाले का जतन किया गया। अपार भीड़ धीर धरे प्रतीक्षारत बैठी या खड़ी रही। 

'चुप रहो' का काशन और पसरा सन्नाटा 

अचानक व्यास लक्ष्मीनारायण के स्वर उभरे और उन्होंने चिरपरिचित अंदाज में 'चुप रहो, सावधानÓ का काशन दिया और  घाट की सीढिय़ों पर सन्नाटे की चादर फेर दिया। समवेत स्वर में हर हर महादेव का घोष कर लीला स्थल पहुंचे काशीराज  अनंत नारायण सिंह का अभिवादन किया। इसके साथ ही पोखरे के दक्षिणी छोर पर बारादरी के ऊपरी हिस्से से ढोलक की थाप व मंजीरे की झंकार से मानस की चौपाइयां आकाशवाणी लीला के लिए एकाकार हो गईं। लंबे चौड़े दायरे में विस्तारित पोखरे के किनारे जुटे लीला प्रेमियों ने इसका तन्मयता से श्रवण किया और सुर भी मिला दिया। लगभग 21 मिनट तक चले इस सिलसिले के बाद रात 8.25 बजे फिर सावधान की आवाज ने रामबाग पोखरे के क्षीरसागर में तब्दील हो जाने का संकेत दिया। पश्चिमी किनारे पर शेषनाग रुपी नौका पोखरे के बीचो-बीच पहुंचाई गई और जनमानस ने जय सियाराम जय जय सियाराम...कीर्तन से वातावरण गुंजा दिया। जैसे-जैसे शेषनाग जलधारा के मध्य की ओर बढ़े रामनाम संकीर्तन के स्वरों ने भी आसमान धरे। रात 8.30 बजे श्रीहरि शेष शैय्या पर विराजे और लाल महताबी की रोशनी में लगभग 16 मिनट तक दर्शन देकर विभोर किया। 

प्रधान व्यास अस्वस्थ, पुत्र ने कराई लीला  

विश्वप्रसिद्ध रामलीला के पहले ही दिन रामलीला के प्रधान व्यास रघुनाथ दत्त की तबीयत बिगड़ गई। ऐसे में उनके बड़े पुत्र शिवदत्त व्यास ने रामलीला कराई। व्यास रघुनाथ दत्त को शनिवार रात  उल्टी दस्त के कारण सिगरा स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लगभग 50 वर्षों से रामलीला में प्रधान व्यास की भूमिका निभाने वाले रघुनाथ दत्त पहली बार बीमारी के कारण रामलीला में नहीं दिखे। 

पूर्व विधायक ने लिया आशीर्वाद 

रामनगर की रामलीला में क्या आम और खास लेकिन इस बार संख्या कुछ अधिक ही रही। पूर्व विधायक अजय राय ने क्षीर सागर की झांकी का दर्शन किया और पंच स्वरुपों का आशीर्वाद लिया। कहा काशी की परंपराओं को सहेजे रखना हर काशीवासी की जिम्मेदारी है। 


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