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मां ने लिया कर्ज, पिता ने की मजदूरी और बेटी ने वॉक रेस में जीता स्वर्ण पदक

मां ने कर्ज लिया पिता ने मजदूरी की और गांव के भाइयों ने मिलकर उसके लिए जूता खरीदा। इन सबकी बदौलत वाराणसी की मुनीता प्रजापति इतनी तेज चली कि राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नेशनल रिकॉर्ड बना दिया

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 09:49 AM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 10:35 AM (IST)
मां ने लिया कर्ज, पिता ने की मजदूरी और बेटी ने वॉक रेस में जीता स्वर्ण पदक
फरवरी 2020 में रांची में आयोजित सातवीं नेशनल ओपन रेस वॉकिंग चैंपियनशिप गोल्ड

नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। कुछ कर दिखाने के लिए संसाधनों की पर निर्भरता जरूरी नहीं होती है। लगन, मेहनत और लक्ष्य को पाने का जुनून ही काफी है। इस बात को साबित करने के लिए मुनीता प्रजापति का रिकॉर्ड ही काफी है। हाल ही में एक मजदूर की बेटी ने गुवाहाटी में 36वीं राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में वॉक रेस में नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया है।

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वाराणसी के छोटे से गांव रोहनिया शाहबाजपुर बढ़ैनी की रहने वाली मुनीता के पिता बिरजू प्रजापति मजदूरी करते हैं। उसे खिलाड़ी बनाने के लिए मां ने लोगों के सामने हाथ फैलाए। कर्जा लिया। वह अच्छा प्रदर्शन कर सके इसलिए गांव के लड़कों ने मिलकर अपनी छोटी बहन के लिए जूते का इंतजाम किया। मुनीता ने भी परिवार के इस योगदान का मान रखा और माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।

बहन ने कहा- एक यही रास्ता है जिससे गांव से बाहर निकल सकती हो मुनीता कहती हैं कि वर्ष 2016 में पहली बार दौड़ने के लिए गई तो पिता ने मना कर दिया था। मां और बड़ी बहन ने हौसला बढ़ाया। बहन की वो बात आज भी याद है कि यही एक रास्ता है जिससे तुम घर से बाहर निकल सकती हो। बस मैंने रास्ता पकड़ लिया और चल पड़ी। ..और फिर मुनीता इस पर इतनी तेज चली कि रिकॉर्ड बना लिया।

भोपाल के साई हॉस्टल में रहकर की तैयारी : मुनीता बताती हैं कि वर्ष 2017 में भोपाल स्थित साई हॉस्टल का ट्रायल था। मेरी मां ने अपनी बहनों से कर्ज लेकर भेजा। कैस बताऊं कि मुझपर कितना दबाव था क्योंकि इसमें यदि सफल नहीं हो पाती तो फिर खेल खत्म था पर मेरा चयन हो गया। चयन से भी ज्यादा इस बात की खुशी थी कि अब मेरे खाने-पीने और रहने की चिंता नहीं थी। इसका इंतजाम मैं खुद कर सकती थी। वहां रहकर मैंने खेल पर ध्यान दिया। मुनीता ने कीनिया में होने वाली चैंपियनशिप में भाग लेने की पात्रता हासिल कर ली है। मुनीता कहती है एक नौकरी मिल जाए तो परिवार की स्थिति संभल जाएगी।


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