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पूर्वांचल का पहला गैस इंसुलेटेड सिस्टम ट्रांसमिशन बलिया के रसड़ा मेें, अप्रैल से जुड़ेंगे 100 सब स्टेशन

पूर्वांचल का सबसे हाईटेक बिजली का ट्रांसमिशन बलिया के रसड़ा में बन रहा है। 400 केवी क्षमता का बिजली घर जीआइएस (गैस इंसुलेटेड सिस्टम ) पर आधारित होगा। 80 फीसद निर्माण हो चुका है इससे बलिया मऊ और गाजीपुर के सौ सब स्टेशन को अप्रैल से जोडऩे की तैयारी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 04:32 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 04:32 PM (IST)
पूर्वांचल का पहला गैस इंसुलेटेड सिस्टम ट्रांसमिशन बलिया के रसड़ा मेें, अप्रैल से जुड़ेंगे 100 सब स्टेशन
पूर्वांचल का सबसे हाईटेक बिजली का ट्रांसमिशन बलिया के रसड़ा में बन रहा है।

बलिया [अजय राय]। पूर्वांचल का सबसे हाईटेक बिजली का ट्रांसमिशन बलिया के रसड़ा में बन रहा है। 400 केवी क्षमता का बिजली घर जीआइएस (गैस इंसुलेटेड सिस्टम ) पर आधारित होगा। 80 फीसद निर्माण पूरा हो चुका है, इससे बलिया, मऊ और गाजीपुर के सौ सब स्टेशन को अप्रैल से जोडऩे की तैयारी है। न्यूनतम मैन पॉवर से इसका संचालन होगा। अब ट्रांसमिशन सिस्टम में  स्वीच यार्ड, इंसुलेटर और ब्रेकर बदलना होगा तो इसके लिये किसी कर्मचारी की आवश्यकता नहीं होगा। जीआइएस से ही इसे संभव बनाया जा सकेगा। इसके लिये कैंपस में हाईटेक कंट्रोल रुम बनाया जा रहा है, यहीं से पूरे सिस्टम को आपरेट किया जा सकेगा।

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ऐसे करता है जीआइएस काम

जीआइएस पूरी तरह इनडोर होता है। सिस्टम में बड़ी-बड़ी पाइप लाइनें होती हैं, जिसमें गैस भरी जाती है। इसमें सब स्टेशन के इक्यूपमेंट स्टॉल किए जाते हैं। इसमें न अधिक कर्मचारी की जरूरत होती है और न ही अधिक मेंटेनेंस की। यह एक कमरे में ही स्टॉल किया गया है। इसे एक कर्मचारी द्वारा ही लैपटॉप या कंप्यूटर से कंट्रोल किया जाता है।

तार टूटने पर भी बिजली नहीं होगी गुल

कंपनी के अनुसार जहां एयर इंसुलेटेड सिस्टम (एआइएस) सब स्टेशन में पानी गिरने, फ्लैक्स या प्लास्टिक उड़कर चिपकने अथवा आंधी से तार टूटने से लाइन बंद हो जाती है। गैस इंसुलेटेड सिस्टम (जीआइएस) में इससे लाइन बंद होने की समस्या नहीं आती है।

2018 में शुरू हुआ था निर्माण

अगस्त 2018 में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था, इसे 2020 में पूरा होना था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण ऐसा नहीं हो पाया। अधिशासी अभियंता खालिद फजल ने बताया कि रसड़ा में 400 केवी सब स्टेशन जीआईएस तकनीक पर बन रहा है। इसमें सभी मशीनें अत्याधुनिक हैं। इस तकनीक से कम स्थान में सब स्टेशन का निर्माण हो जाता है। पूरा प्रोजेक्ट करीब 460 करोड़ का है, लेकिन जीआइएस तकनीक पर 70 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।


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