Gazipur में तेंदुए के हमले में तीन लोग हुए घायल तो आक्रोशित ग्रामीणों ने मिलकर मार डाला
Gazipur जिले में तेंदुए के हमले में तीन लोग हुए घायल तो आक्रोशित ग्रामीणों ने मिलकर मार डाला
गाजीपुर, जेएनएन। नोनहरा थाना क्षेत्र के ग्राम सुसुंडी में रविवार की सुबह तेंदुआ ने तीन ग्रामीणों को बुरी तरह से जख्मी कर दिया, इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने उसे घेर लिया और लाठी डंडे से पीटकर उसे मौत के घाट उतार दिया। मौके पर वन विभाग की भी टीम पहुंची थी, लेकिन मूकदर्शक बनी रही। पुलिस ने सभी घायलों को जिला अस्पताल भिजवाया। इसमें महेंद्र राजभर को काफी गंभीर चोटे आई हैं।
सुसुंडी गांव के सिवान में यह तेंदुआ सुबह ही पहुंच गया था। यह सबसे पहले महेंद्र राजभर के घर पहुंचा। इनका घर सिवान में ही है। तेंदुए ने लंबी छलांग लगाकर महेंद्र के ऊपर हमला कर दिया। महेंद्र भी तेंदुआ से बचने के लिए उससे भिड़ गए। तेंदुए ने महेंद्र के पीठ, कंधे और बांह को पंजे से गंभीर रूप से जख्मी कर दिया। इसके बाद बगल के सरपत के झाड़ में जाकर छिप गया। महेंद्र के शोर मचाने पर वहां ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गई। सूचना पर पुलिस व वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची। ग्रामीणों ने सरपत के झाड़ को चारों ओर से घेर लिया था। तभी देखते ही देखते तेंदुआ ने फिर हमला कर दिया, जिसमें गांव के विनोद राम व शमीम हैदर घायल हो गए। तब तक बगल के गांव महुआरी के सैकड़ों लोग पहुंच गए। इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने लाठी-डंडे से मारपीट कर उसे मौत के घाट उतार दिया। थानाध्यक्ष बृजेश कुमार शुक्ला ने घायलों को जिला अस्पताल भिजवाया। वन विभाग की टीम तेंदुआ के शव को कब्जे में लेकर चली गई।
वन विभाग की घोर लापरवाही से गई तेंदुआ की जान
तेंदुआ को बचाया जा सकता था, लेकिन वन विभाग की घोर लापरवाही के कारण ऐसा नहीं हो सका। मौके पर जब वन अधिकारी पहुंचे तो ग्रामीणों ने घटनाक्रम को विस्तार से बताया, लेकिन वह बार-बार यही कहते रहे कि यहां तेंदुआ नहीं आ सकता है। आप लोग जाइए। सबसे बड़ी लापरवाही तो यह है कि तेंदुआ के हमले से एक के घायल की सूचना पर भी वन विभाग की टीम बिना हथियार के पहुंच गई। इनके सामने जब तेंदुआ बाहर निकला तो इनको सांप सूंघ गया। जाल भी इनके पास नहीं था कि उसे पकड़ा जा सके। यह तो संयोग अच्छा था कि कोई हताहत नहीं हुआ। वन विभाग के लापरवाही का आलम यह है कि ग्रामीण पंजे का चोट दिखाने के साथ ही हर गतिविधि को बताया, लेकिन वह किसी की नहीं सुन रहे थे। तेंदुआ के मारे जाने के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम को जमकर खरीखोटी सुनाई। मौके पर तैनात पुलिस फोर्स ने किसी तरह मामले को शांत कराया। तेंदुआ महीने भर से जिले के विभिन्न गांवों में घूम रहा है। महीने भर पहले मि_ापारा में भी यह कई लोगों को घायल कर चुका था। इसके अगले दिन यह देवकठियां गांव में देखा गया। सूचना के बाद वन विभाग की टीम दोनों गांवों में मौके पर गई लेकिन तेंदुआ उनके हाथ नहीं लगा। वन विभाग बार-बार तेंदुआ न होने की बात दोहराता रहा और ग्रामीणों की वह एक भी सुनने को तैयार नहीं थे। अगर वन विभाग की टीम पहले ही सचेत हो गई होती तो आज कोई घायल भी नहीं होता और तेंदुए को भी बचाया जा सकता था।
वन विभाग की टीम ने प्रयास किया होता तो तेंदुआ को बचाया जा सकता था
तेंदुआ ने हमला कर तीन लोगों को घायल कर दिया। इसके बाद ग्रामीणों ने हमला बोलकर उसे मार डाला। तेंदुए को बचाने की पूरी कोशिश की गई थी, लेकिन अपने ऊपर हुए हमले आक्रोशित गांव ग्रामीण नहीं माने। वन विभाग की टीम ने प्रयास किया होता तो तेंदुआ को बचाया जा सकता था।
- महमूद अली, क्षेत्राधिकारी कासिमाबाद।