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बाल विवाह को रोकने के लिए जनता कर रही मदद, वाराणसी में अब तक तीन जगह रोके गए बाल विवाह

कोरोना संक्रमण के बीच जहां पूरी दुनिया थम सी गई है वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो न तो कोरोना से लडऩे में देश की मदद कर रहे हैं और न ही बाल विवाह जैसी कुरीति को रोकने में सहयोग कर रहे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 10:07 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 10:07 PM (IST)
बाल विवाह को रोकने के लिए जनता कर रही मदद, वाराणसी में अब तक तीन जगह रोके गए बाल विवाह
बाल विवाह को रोकने के लिए जनता कर रही मदद, वाराणसी में अब तक तीन जगह रोके गए बाल विवाह

वाराणसी [वंदना सिंह ] । कोरोना संक्रमण के बीच जहां पूरी दुनिया थम सी गई है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो न तो कोरोना से लडऩे में देश की मदद कर रहे हैं और न ही बाल विवाह जैसी कुरीति को रोकने में सहयोग कर रहे हैं। जी हां, इस दौरान भी कई स्थानों पर बाल-विवाह की घटनाएं हुईं जिसे समय रहते महिला कल्याण विभाग द्वारा रोका गया। कहीं गरीबी का हवाला परिजनों ने दिया तो कहीं बालिका की सुरक्षा को लेकर भी बाल-विवाह का रास्ता लोगों को आसान नजर आया। वहीं कुछ स्थानों पर रुढीवादिता के कारण नाबालिगों को परिजनों ने समय से पूर्व ही गृहस्थी से जोडऩा चाहा। खास बात ये कि इन सबके बीच जनता के बीच से ही कुछ ऐसे लोग भी निकलकर आए जिन्होंने समय रहते बाल-विवाह की सूचना महिला कल्याण विभाग को दी और तत्काल विभाग ने पहुंच इन बच्चियों को बचा लिया। छोटी बच्चियों के साथ हो रहे इस शोषण को रोकने लिए लगातार सरकारी स्तर पर अभियान भी चल रहे हैं जिसमें जनता सहयोग कर रही है।

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वर्ष 2017 में एक, 2018 में 26, 2019 में 12, 2020-21 में चार विवाह रोके गए। आमतौर पर बाल विवाह 12 वर्ष से लेकर 15 वर्ष तक की लड़कियों का ज्यादा होता है। वर्ष 2019-20 में 12 बाल विवाह रोके गए जो बड़ागांव, सारनाथ, राजातालाब, केदारघाट, दशाश्वमेध घाट, रोहनिया, हनुमानघाट, बघवानाला, भिखारीपुर के थे। वर्ष 2020-21 में अप्रैल से अब तक चार विवाह रोके गए जिसमें फूलपुर, बड़ागांव, सारनाथ के मामले थे। खास बात ये कि इनमें विवाह मंडप तक लड़की आ चुकी थी ऐन वक्त पर विवाह रोका गया।

गरीब परिवार में जहां पर बच्चों की संख्या अधिक है ऐसे में माता-पिता लड़कियों की कम उम्र में शादी कर उनकी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहते हैं। लड़कियों के साथ आए दिन हो रहे अपराध से डरकर भी कुछ परिवार नाबालिग लड़कियों की शादी करना चाहते हैं। महिला कल्याण विभाग के सदस्यों से बातचीत में परिजनों ने बताया कि लड़कियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित होते हैं। शादी इसलिए जल्दी करना चाहते हैं ताकि उनके साथ कोई गलत घटना न घट जाए। वहीं शादी के बाद तो ससुराल की जिम्मेदारी होगी। कुछ मामलों में रुढ़ीवादिता नजर आई जो एक परंपरा सी बन गई है। ज्यादातर जगह पर परिजन व लड़की अशिक्षित मिले या लड़की की पढ़ाई छुड़ा दी गई थी।

कई बार परिजन जाली सर्टिफिकेट तक बनवा लेते हैं

कई बार परिजन जाली सर्टिफिकेट तक बनवा लेते हैं। ऐसे में अगर जिस स्कूल में लड़की को पढ़ते हुए बताया जाता है उस स्कूल की जांच कर लड़की के दस्तावेज देखे जाते हैं। ताकि उम्र के लिए सही रिकार्ड मिल सके। साथ ही बालिका का मेडिकल भी कराया जाता है ताकि उसकी आयु का अंदाजा लगाया जा सके।

अगर शादी हो जाती है तो उसे शून्य भी घोषित करने का प्रावधान है। इसके लिए बालिका के माता-पिता को प्रार्थना पत्र देना होता है। इसके साथ नाबालिग को भी यह कहना होगा कि उसे शादी मंजूर नहीं है। जबरदस्ती उसकी शादी कराई जा रही थी।

हेल्पलाइन पर करें सूचित : बाल विवाह रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1098 चाइल्ड लाइन और 181 वन स्टॉप सेंटर है। अगर आपके आसपास कोई भी ऐसी घटना होते दिखाई देती है वे हेल्पलाइन पर सूचना दें आपकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी।

बाल विवाह का मुख्य कारण बालिका की सुरक्षा, अशिक्षा, गरीबी

बाल विवाह का मुख्य कारण बालिका की सुरक्षा, अशिक्षा, गरीबी और रूढि़वादिता है। बाल विवाह को लेकर जनता को लगातार जागरुक किया जा रहा है मगर इसकी घटनाएं रुक नहीं रहीं। अच्छी बात ये है कि जनता जागरुक हो रही है वो लोग विभाग में विवाह की सूचना देते हैं। जब महिला कल्याण विभाग की टीम पहुंचती है तो विवाह को रोक दिया जाता है। मगर इस दौरान कई बार स्थति नियंत्रण के बाहर की हो जाती है जब परिजन व गांव वाले टीम पर हमला तक करने पर अमादा हो जाते हैं। उन लोगों को समझाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। मगर एक अच्छी बात है कि जनता के बीच जागरुक लोग भी हैं जो हमें समय समय पर बाल विवाह की सूचना देते हैं। उनकी इस पहल से नाबालिग लड़कियों की ङ्क्षजदगी बर्बाद होने से बच जाती है। सामाजिक संस्था एं भी सूचित करती हैं।

-निरुपमा सिंह, बाल संरक्षण अधिकारी।


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