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BHU मुस्लिम शिक्षक विवाद में संस्कृत के दो प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, कहा - 'नियुक्ति बीएचयू एक्ट के खिलाफ'

बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म संकाय के साहित्य विभाग में नियुक्त मुस्लिम प्रकरण ठंडा होने के बजाय गरमाता ही जा रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 10:45 AM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 09:09 PM (IST)
BHU मुस्लिम शिक्षक विवाद में संस्कृत के दो प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, कहा - 'नियुक्ति बीएचयू एक्ट के खिलाफ'
BHU मुस्लिम शिक्षक विवाद में संस्कृत के दो प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, कहा - 'नियुक्ति बीएचयू एक्ट के खिलाफ'

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म संकाय के साहित्य विभाग में नियुक्त मुस्लिम प्रकरण ठंडा होने के बजाय गरमाता ही जा रहा है। अब बीएचयू के दो एमेरिट्स प्रोफेसरों क्रमश: प्रो. रेवा प्रसाद द्विवेदी व प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने समूचे प्रकरण पर नाराजगी जताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को तीन पेज का पत्र लिखा है। दोनों प्रोफेसर संकाय में करीब 50 वर्षों से सेवारत हैं और विभागाध्यक्ष व संकायाध्यक्ष के पदों को भी सुशोभित कर चुके हैं। 

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पत्र में स्पष्ट है कि धार्मिक अध्ययन का प्रावधान बीएचयू के एक्ट 1951 एवं संसद की ओर से संशोधित अधिनियम-1951 द्वारा संरक्षित एवं मूल भावना के अनुरूप स्वतंत्रता के बाद से आज तक चला आ रहा है। इसमें संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के द्वारा प्रदत्त धार्मिक शिक्षा केवल भारतीय मत-पंथों के विद्यार्थियों को नित्य आचार निष्ठ होकर पारंपरिक पद्धति शास्त्रीय एवं आचार्य बनने के लिए उपाधि प्रदान की जाती है। 

इसी बीएचयू अधिनियम-1915 एवं संशोधित अधिनियम 1951 के आधार पर इस संकाय में यह परंपरा सौ से अधिक वर्षों से चली आ रही है। यहां केवल हिंदू, सनानत मतों, बौद्ध, जैन सिख ही अध्ययन-अध्यापन में सम्मिलित हो सकते हैै। किसी गैर हिंदू मत शिक्षक के कारण परंपरा से पड़ रहे धार्मिक रस्म रिवाज, कर्मकांड-वेदादि-त्रिपिटक आदि विषयों के शास्त्री आचार्य कक्षाओं के विद्यार्थी परंपराज्युत हो जाएंगे और सौ साल से चला आ रहा नियम भी खंडित हो जाएगा।

दोनों एमेरिट्स प्रोफेसरों का कहना है कि इस संकाय के धार्मिक साहित्य विभाग में मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति धर्म शिक्षा की भावनाओं और काशी विद्वत परंपरा एवं विवि के एक्ट और परंपरा दोनों के विरुद्ध है। प्रोफेसर द्वय ने राष्ट्रपति से विवि की गरिमा की रक्षा एवं इस समस्या से मुक्ति दिलाने का अनुरोध किया है।  

फिरोज का समर्थन करने पर आरएसएस के खिलाफ धरना

बीएचयू में मुस्लिम शिक्षक की तैनाती का समर्थन करने पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक को विरोध झेलना पड़ रह है। डा. फिरोज खान का विरोध कर रहे संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के छात्रों ने शनिवार को आरएसएस के लंका स्थित विश्व संवाद केंद्र पर धरना दिया और जमकर नारेबाजी की। छात्रों ने काशी विभाग संघचालक को उनके पद से हटाने की मांग भी की है।

विदित हो कि शुक्रवार को संघ की तरफ से बैठक करने के बाद काशी विभाग संघ चालक डा. जयप्रकाश लाल की तरफ से विज्ञप्ति जारी की  गई थी कि इस मामले में यदि नियुक्ति वैधानिक चयन प्रक्रिया के तहत हुई है तो फिरोज का विरोध करना गलत है। आरएसएस के इस समर्थन को लेकर उबले प्रदर्शनकारी छात्र विश्व संवाद केंद्र पर जा धमके और जमकर खरी-खोटी सुनाई। छात्रों के इस अप्रत्याशित विरोध-प्रदर्शन को तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से संघ मुख्यालय और उ'चस्तरीय पदाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।

बीएचयू में डा. फिरोज के पढ़ाने तक जारी रखेंगे आंदोलन

बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर डा. फिरोज खान की सुरक्षा व उनके समर्थन में शनिवार को ज्वाइंट एक्शन कमेटी की ओर से लंका गेट से अस्सी तक मार्च निकाला गया। इस दौरान आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि जब तक डा. फिरोज बीएचयू में पढ़ाना शुरू नहीं कर देते तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। कहा कुल 28 आवेदकों में उन्हें सबसे योग्य पाते हुए उन्हें नियुक्त किया गया। विरोध करने वाले छात्रों ने तर्क दिया की एक मुसलमान ङ्क्षहदू कर्म-कांड कैसे पढ़ा सकता है। उन रीति-रिवाजों और परंपराओं का क्या होगा जो इससे पहले सिर्फ ङ्क्षहदू (ब्राह्मण) शिक्षकों द्वारा बताया जा रहा था। ये विरोध एक मुसलमान के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर घुसने का है जिसको विवि के कुछ संकीर्ण मानसिकता वाले छात्रों के साथ प्रोफेसरों का समर्थन हासिल है। कहा शुरू में बीएचयू की छवि को मद्देनजर छात्रों ने विरोध में प्रतिक्रिया देना उचित नहीं समझा। मगर जब पानी सिर से ऊपर हुआ तो दुनिया को यह संदेश देना जरूरी हो गया कि फिरोज खान का संस्कृत पढ़ाना हमारे लिए गर्व की बात है। इस अवसर पर कुंवर सुरेश सिंह, विकास सिंह, दिवाकर, धनंजय, संजीव सिंह, मुन्ना राय, मनीष शर्मा, दीपक, विकास आनंद, रजत आदि थे। 

डा. फिरोज के बचाव पर छात्रों ने घेरा विश्व संवाद केंद्र

संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, बीएचयू के छात्रों ने शनिवार की देर शाम लंका स्थित विश्व संवाद केंद्र पर जमकर प्रदर्शन किया। आरएसएस द्वारा संकाय में नियुक्त डा. फिरोज खान के बचाव को लेकर दिए गए बयान के बाद कुछ छात्रों ने बवाल काटा। 

केंद्र का घेराव करते हुए विभाग संचालक जयप्रकाश लाल ने कहा है कि फिरोज खान की नियुक्ति का आरएसएस समर्थन करता है। छात्रों ने एक घंटे के इस घेराव में जमकर नारेबाजी की। साथ ही एक तरफ जहां महामना अमर रहें के नारे लगाए वहीं हिंदुत्व विरोधी का आरोप लगाते हुए आरएसएस के खिलाफ नारेबाजी की। छात्रों ने कहा कि संघ का यह निर्णय न केवल आत्मघाती है बल्कि गुरु गोलवलकर और महामना मालवीय जी के सिद्धांतों पर कुठाराघात है। चेतावनी दिया कि यदि संघ अपने निर्णय को वापस नहीं लेती है तो युवाओं से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से बहिष्कार का आह्वान किया जाएगा। इस मौके पर शुभम तिवारी, शशिकांत मिश्र आदि मौजूद थे।  


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