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बीएचयू में प्रभु श्रीराम पर दस करोड़ रुपये से शोध पीठ का प्रस्ताव केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को प्रेषित

बीएचयू में प्रभु श्रीराम पर दस करोड़ रुपये से श्रीराम शोध पीठ स्थापित होगी। सामाजिक विज्ञान संकाय में शोधपीठ का विधिवत प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और पीएमओ को भेज दिया गया। पीठ के अतिरिक्त खर्च के लिए कुल साढ़े तीन करोड़ रुपये का बजट तैयार किया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 09:15 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 09:15 PM (IST)
बीएचयू में प्रभु श्रीराम पर दस करोड़ रुपये से शोध पीठ का प्रस्ताव केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को प्रेषित
बीएचयू में प्रभु राम पर दस करोड़ रुपये से श्रीराम शोध पीठ स्थापित होगी।

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू में प्रभु राम पर दस करोड़ रुपये से श्रीराम शोध पीठ स्थापित होगी। बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय में शोधपीठ का विधिवत प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और पीएमओ को भेज दिया गया। पीठ के अतिरिक्त खर्च के लिए कुल साढ़े तीन करोड़ रुपये का बजट तैयार किया गया है। इसमें श्रीराम संबंधित पुस्तकालय, भवन, उपकरण, पदों के प्रति माह व्यय और किताब और पत्रिकाओं का मुद्रण आदि का खर्च शामिल है। कुल छह पेजों के बने प्रस्ताव में एक परामर्शदाता समिति के गठन की चर्चा है, जिसमें बीएचयू के कुलपति और सामाजिक विज्ञान संकाय के प्रमुख शामिल हैं।

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इस पीठ के तहत रामराज्य की गांधीयन और अन्य माडलों पर अध्ययन-अध्यापन किया जाएगा

यह समिति ही इस पीठ के संचालन और वित्तीय दायित्वों का कार्य संभालेगी। बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय में अब श्रीराम शोध पीठ स्थापित करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए प्रस्ताव बना लिया गया है। इस पीठ के तहत रामराज्य की गांधीयन और अन्य माडलों पर अध्ययन-अध्यापन किया जाएगा। संकाय प्रमुख प्रो. कौशल किशोर मिश्रा का कहना है कि इससे रामराज्य के वास्तविक रहस्यों पर से पर्दा उठ सकेगा। शासन-प्रशासन से आगे समाज में यहां एक नैतिक और चारित्रिक व्यवस्था को स्थापित करने का मूल मंत्र तैयार किया जाएगा। परहित और परोपकार से आगे बढ़कर इस पीठ में यह बताया जाएगा कि कर्तव्य से अधिकार का जन्म किस प्रकार होता है। शुक्रवार को संकाय में इसके प्रस्ताव पर काफी चर्चा-परिचर्चा कर एक सहमति बनाई गई है।  श्रीराम शोध पीठ का मूल उददेश्य रामराज्य के वास्तविक थीम को अकादमिक जगत से जोडऩा, जिससे श्रीराम पर बेहतर से बेहतर शोध और अध्ययन हो और उसका परिष्कृत स्वरूप जनता के सामने आए। इसके साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय संगोष्ठियों और शैक्षणिक सत्रों के माध्यम से व्यापक विमर्श होगा। राम राज्य की अवधारणा के अनुसार सामाजिक न्याय व्यवस्था, अर्थतंत्र, वर्ण व्यवस्था, सामाजिक एवं राजनीतिक कर्तव्य, सांस्कृतिक सम्पन्नता, कला एवं शिल्प, शिक्षण व्यवस्था, नारी विमर्श आदि इस शोध पीठ के प्रमुख टापिक होंगे।


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