वाराणसी में प्रधानमंत्री ने विपक्ष को घेरा, कहा - विपक्ष की सोच, डिक्शनरी में सिर्फ कब्जा, परिवारवाद, माफियावाद
वाराणसी में प्रधानमंत्री ने दिसम्बर माह की दूसरी यात्रा के दौरान 2100 करोड़ की सौगात देने के साथ ही विकास की रूपरेखा रख विपक्ष को कई मुद्दों पर कठघरे में खडा किया। 35 मिनट की जनसभा में विकास की बात की वहीं विपक्ष को भी निशाने पर लिया।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काशी में दिसम्बर माह की दूसरी यात्रा के दौरान 2100 करोड़ की सौगात देने के साथ ही विकास की रूपरेखा रख विपक्ष को कई मुद्दों पर कठघरे में खडा किया। 35 मिनट की जनसभा में विकास की बात की, वहीं विपक्ष को भी निशाने पर लिया। कहा- विपक्ष को विकास रास नहीं आता है। इनकी डिक्शनरी में माफियावाद, परिवारवाद, कब्जा आदि है।
प्रधानमंत्री ने कुछ यूं ही जनसभा को संबोधित किया...त्रिलोचन महादेव की जय... माता शीतला चौकिया की जय...।
प्रधानमंत्री ने वाराणसी के करखियांव गांव में कहा कि वाराणसी के पिंडरा क्षेत्र के लोगन के प्रणाम करत हईला..। पड़ोस के जिला जौनपुर के सभी बंधु-भगिनी लोगन के प्रणाम...। आज वाराणसी और इसके आसपास का क्षेत्र पूरे देश के किसानों और पशुपालकों के लिए बहुत बड़े कार्यक्रम का साक्षी बना। आज का दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती है। उनकी स्मृति में देश किसान दिवस मना रहा है।
साथियों हमारे यहां गाय और गोधन की बात करने को कुछ लोगों ने गुनाह बना दिया है। गाय कुछ लोगों के लिए गुनाह हो सकती है। हमारे लिए गाय माता है, पूजनीय है। गाय-भैस का मजाक उड़ाने वाले लोग भूल जाते हैं कि देश के 8 करोड़ लोगों की आजीविका इसी पशुधन से चलती है और देश साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये का दूध-उत्पादन करता है। यह राशि गेहूं और चावल के उत्पादन से भी ज्यादा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि साथियों अब मैदान छोटा पड़ गया है। अब वहीं पर आप अपने को संभाल लीजिए। बनास डेयरी के लाखों दूध उत्पादकों के खाते में करोड़ों रुपए ट्रांसफर किया गया है। रामनगर की डेयरी के लिए बायोगैस प्लांट की स्थापना हुई है। आज यूपी के लाखों लोगों को अपने घर के कानूनी दस्तावेज यानी घरौनी भी सौंपी गई है। वाराणसी की 1500 करोड़ से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है।
साथियों एक जमाना था जब हमारे गांवों के घर-आंगन में मवेशियों के झुंड ही संपन्नता ही पहचान थे। किसके दरवाजे में कितने खूंटे हैं, इसे लेकर प्रतिस्पर्धा रहती थी। गायें मेरे चारों ओर रहें और मैं उनके बीच निवास करूं, यह हमारे शास्त्रों में कहा गया है।
यह सेक्टर हमारे रोजगार का एक बड़ा माध्यम रहा है। लेकिन, इस सेक्टर को पहले की सरकारों से सहयोग और समर्थन नहीं मिला। किसानों और पशुपालकों के लिए अनेकों योजनाओं के साथ ही पशुओं के घर पर उपचार और मुफ्त टीका की व्यवस्था कराई गई है। देश में इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि देश में सात साल में दूध उत्पादन 45 प्रतिशत बढ़ा है। आज भारत दुनिया का 22 प्रतिशत दूध उत्पादन करता है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक दूध उत्पादक राज्य है और डेयरी सेक्टर के विस्तार में भी बहुत आगे है। किसान न केवल दूध से बल्कि गोबर से भी आमदनी कर पाएंगे। दूध से भी ज्यादा पैसा गोबर से किसान प्राप्त कर सकेंगे। बायो गैस प्लांट से खाद बनेगी और काफी कम कीमत में किसानों को वह मिल सकेगी।
एक समय था जब भारत में प्राकृतिक खेती प्राकृतिक तरीके से होती थी। खाद हो या कीटनाशक हो, सब कुछ प्राकृतिक तरीके से ही बनते थे। समय के साथ प्राकृतिक खेती का दायरा सिमटता गया और केमिकल का इस्तेमाल बढ़ता गया। धरती और आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित करने के लिए एक बार फिर हमें प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना ही होगा। इसलिए अब सरकार इसके लिए बहुत बड़ा अभियान भी चला रही है। आज किसान दिवस पर किसानों से आग्रह है कि वह प्राकृतिक खेती की ओर आगे बढ़ें। यह खेती का सबसे अच्छा और सस्ता तरीका है। इसके साथ ही प्राकृतिक खेती से पैदा हुई फसलों की कीमत सबसे ज्यादा है।
गांवों को और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने से स्वामित्व की बड़ी भूमिका है। 21 लाख परिवारों को अपने घर की घरौनी के दस्तावेज दिए गए हैं। इससे अवैध कब्जे से लोग बचेंगे। घरौनी के सहारे बैंकों से लोन लेना भी आसान होगा। विकास की जब बात आती है तो काशी अपने आप में एक मॉडल बनता जा रहा है। पुरातन पहचान को बनाए रखते हुए नूतन काया को कैसे धारण किया जा सकता है, काशी उसका एक मॉडल है। मैं जब काशी और उत्तर प्रदेश के विकास की बात करता हूं तो कुछ लोगों को कष्ट ज्यादा ही हो जाता है। यह वह लोग हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति को जाति, वर्ग और मजहब के नजरिये से ही देखा है। यह वह लोग हैं जिन्होंने आम आदमी की सुविधा और सहूलियत के बारे में कभी सोचा ही नहीं है। विकास को वह जानते और मानते ही नहीं हैं। उनकी सोच, डिक्शनरी, बोलचाल और शब्दावली में माफियावाद, परिवारवाद, जमीनों पर अवैध कब्जा...।
हम यूपी में विरासत को बचाकर विकास भी कर रहे हैं। इन लोगों को पूर्वांचल के विकास से, बाबा के काम से, विश्वनाथ धाम के काम से भी आपत्ति होने लगी है। बताया गया कि बीते रविवार को काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन के लिए डेढ़ लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे। यूपी को दशकों तक पीछे धकेलने वाले ऐसे लोगों की दिक्कत अभी और बढ़ेगी। डबल इंजन की सरकार के प्रति जनता का आशीर्वाद जैसे-जैसे बढ़ता जाएगा उनका गुस्सा और ज्यादा होता जाएगा।