श्रीराम के गमन को खुद ब खुद बयां करती है शिला, शिवपुर रामगया घाट पर प्रेतशिला बांट देती है गंगा की धारा
विंध्याचल स्थित श्रीराम गया घाट पर आज भी इसके प्रमाण मौजूद हैं जो भगवान श्रीराम के गमन को खुद बयां करते हैं।
मीरजापुर [अमित तिवारी]। विंध्य क्षेत्र भी भगवान श्रीराम के चरणरज से धन्य हो चुका है। विंध्याचल स्थित श्रीराम गया घाट पर आज भी इसके प्रमाण मौजूद हैं, जो भगवान श्रीराम के गमन को खुद बयां करते हैं। औशनस उपपुराण में इस बात का जिक्र भी मिलता है कि विंध्याचल के शिवपुर स्थान के उत्तर में भगवान श्रीराम ने पिंडदान किया था। इसीलिए इस घाट को रामगया घाट के नाम से भी जाना जाता है। यही पाश्र्व में कर्णावती संगम है, इस स्थान पर पितरों का श्राद्ध करने से महान पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसी भी मान्यता है कि अयोध्या से वन गमन की आज्ञा के बाद प्रभु श्रीराम विंध्याचल होकर वन गए थे।
भगवान श्रीराम ने रामगया घाट पर किया पिंडदान विंध्याचल धाम से दो किमी दूरी पर पश्चित में शिवपुर नामक स्थान पर उत्तर में गंगा बहती है। यहां स्थित रामगया घाट पर भगवान श्रीराम ने कर्णावती संगम के पास राजा दशरथ का पिंडदान किया था। गंगा की अविरल धारा में यहीं एक प्रेतशीला है, जो ग्रीष्म ऋृतु में गंगा की धारा को दो भागों में विभक्त कर देता है। कहते हैं कि मीरजापुर जिले में विंध्याचल-शिवपुर के रामगया घाट पर गंगा के बीच में उभरी शिलाओं के बीच स्थित तराशी हुई शिला, चरणों के चिह्न आदि इसके प्रमाण हैं। इस जगह का नाम भी उनके यहां से गमन की गवाही देता है। वृहद नीलतंत्र के अनुसार नागाधिराज विंध्याचल व देवनदी गंगा का मिलन स्थल यहीं है, जिस स्थान पर मां विंध्यवासिनी का मंदिर बनाया गया है। कालीखोह में पवित्र सीताकुंड में स्नान करने से मात्र से मनुष्य के समस्त पापों का नाश हो जाता है।
माता सीता ने बनाई अपनी रसोई
विंध्याचल धाम से तीन किमी दूरी पर अष्टभुजा के पश्चिम भाग में थोड़ी दूरी पर भगवती जनक नंदिनी सीता द्वारा निर्मित सीता कुंड स्थल है। मान्यता है कि वनवास काल में सीता माता ने यहां रसोई बनाया था और जल की आवश्यकता पडऩे पर भगवान श्रीराम ने तीर मारकर पानी का स्रोत निकाला था, जिसके बाद से यहां सदैव जल भरा रहता है।मान्यता है कि सीता कुंड में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते है। विंध्य पर्वत श्रृंखला में अक्रोध मुनि का बसाया अक्रोधपुर ग्राम था जिसे आज अकोढ़ी गांव के नाम से जाना जाता है। भगवान श्रीराम का बनवाया हुआ रामकुंड भी स्थित है जिसका उल्लेख औशनस पुराण के श्लोक 46 में है। जनश्रुति के अनुसार नगर के मध्य स्थित रामबाग अतीत काल में राम का बगीचा था।