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श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष बनाए गए प्रो. नागेन्द्र पांडेय, तीन साल से खाली चल रहा था अध्यक्ष का पद

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद का ज्योतिष एवं संस्कृत साहित्य के विद्वान प्रो. नागेन्द्र पांडेय को अध्यक्ष बनाया गया है। प्रो. पांडेय संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के साथ ही उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष रह चुके हैैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 10:20 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 10:20 PM (IST)
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष बनाए गए प्रो. नागेन्द्र पांडेय, तीन साल से खाली चल रहा था अध्यक्ष का पद
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नाग्रेंद्र पांडेय।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद का ज्योतिष एवं संस्कृत साहित्य के विद्वान प्रो. नागेन्द्र पांडेय को अध्यक्ष बनाया गया है। प्रो. पांडेय संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के साथ ही उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष रह चुके हैैं। न्यास परिषद में सभी पांच सदस्य भी नामित कर दिए गए हैैं।

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इनमें ज्योतिषाचार्य प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय को लगातार चौथी बार तो ज्योतिषाचार्य पं. श्रीप्रसाद दीक्षित को दूसरी बार परिषद में जगह मिली है। इनके अलावा प्रो. बृजभूषण ओझा, पं. दीपक मालवीय और के. वेंकट रमण घनपाठी को भी सदस्य बनाया गया है। न्यास जून 2018 से सदस्य विहीन तो था ही दिसंबर 2019 से ही अध्यक्ष का भी पद खाली था। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से ठीक पहले न्यास परिषद एक बार फिर पूर्ण हो गया है। परिषद अध्यक्ष समेत समस्त सदस्य लोकार्पण समारोह में शामिल होंगे।

प्रथा परंपरा की रक्षा का है दारोमदार

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को सुरक्षा के लिहाज से उत्तर प्रदेश शासन ने वर्ष 1983 में अधिग्रहण कर लिया था। पूजन-अर्चन समेत प्रथा परंपरा की रक्षा के लिहाज से उसी समय श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद का गठन किया गया। इसे विधायी संस्था का मान देते हुए निर्णय लेने का अधिकार दिया गया। इसमें अध्यक्ष के साथ धर्म व कर्मकांड के पांच विद्वानों को तीन-तीन साल के लिए सदस्य नामित किया जाता है। इसके अलावा शंकराचार्य श्रृंगेरी, कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, प्रमुख सचिव धर्मार्थ-संस्कृतिएवं वित्त, प्रदेश के कानून एवं विधि परामर्शी, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मानद सदस्य होते हैं।


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