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बीएचयू अस्पताल में गर्भ संस्कार की हुई शुरुआत, आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों को बनाया अत्याधुनिक

बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय के आयुर्वेद अनुभाग में प्रसूति तंत्र विभाग द्वारा मंगलवार को गर्भ संस्कार की शुरूआत की गई। प्रसूति विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को संगीत सुनाकर महापुरुषों की किताबें पढ़ाकर और मंत्रोच्चार से जन्म लेने वाले बच्चों में संस्कार पैदा किए जाएंगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 10:31 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 10:31 PM (IST)
बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय के आयुर्वेद अनुभाग में प्रसूति तंत्र विभाग द्वारा गर्भ संस्कार की शुरूआत की गई।

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय के आयुर्वेद अनुभाग में प्रसूति तंत्र विभाग द्वारा मंगलवार को गर्भ संस्कार की शुरूआत की गई। प्रसूति विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को संगीत सुनाकर, महापुरुषों की किताबें पढ़ाकर और मंत्रोच्चार से जन्म लेने वाले बच्चों में संस्कार पैदा किए जाएंगे। इसके बाद अत्याधुनिक तकनीक से गर्भ में पल रहे बच्चे की प्रतिक्रिया का अध्ययन किया जाएगा। दरअसल गर्भवती महिलाओं के विचार, उनकी मनोदशा, संवाद, सुख, दुख, डर, संघर्ष, धर्म इत्यादि का बच्चे पर काफी प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही स्त्री बंध्यत्व (फीमेल इनफर्टिलिटी), रजोनिवृत्ति की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों को तकनीकी रूप से अत्याधुनिक बनाया गया है। इन विशिष्ट चिकित्सा पद्धतियों का शुभारंभ प्रसूति विभाग में आइएमएस के निदेशक प्रो. आरके जैन, आयुर्वेद संकाय की पूर्व डीन व वरिष्ठ आचार्य प्रो. प्रेमवती तिवारी और मेडिकल सुपङ्क्षरटेंडेंट प्रो. एसके माथुर ने किया। प्रो. जैन ने कहा कि आज के परिवेश में स्त्री बंध्यत्व बहुत बड़ी चुनौती है जिसकी आयुर्वेद के द्वारा सफल चिकित्सा की जा सकती है। प्रो. प्रेमवती ने बताया कि जिसकी परिकल्पना उन्होंने कई वर्ष पूर्व बीएचयू में की थी, उसका व्यावहारिक और वैज्ञानिक स्वरूप अब सामने आया है। इससे बगैर किसी नुकसान के स्त्री रोगों से निजात मिलेगी। आयुर्वेद संकायप्रमुख प्रो. वीपी ङ्क्षसह ने इसे बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक विकास में सहायक बताया। वहीं प्रो. माथुर ने कहा कि इस विधि से जन्म लेने वाले बच्चों में अच्छे संस्कार आएंगे।

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प्रसूति तंत्र की विभाग की अध्यक्ष प्रो. सुनीता सुमन के अनुसार गर्भ संस्कार की स्थापना पहली बार हो रहा है, जबकि अन्य इलाज का पुनर्विकास किया गया है। इस दौरान कार्यक्रम में उप चिकित्सा अधीक्षक डा. पंकज भारती, प्रो. डीएन पांडेय, प्रो. केएन द्विवेदी, प्रो.बी. मुखोपाध्याय समेत आयुर्वेद संकाय के कई चिकित्सक व प्रोफेसर मौजूद थे।


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