प्रविंद जगन्नाथ की मॉरीशस में दोबारा बनी सरकार तो वाराणसी के रिश्ते भी होने लगे ताजा
जनवरी 21-23 तक वाराणसी में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस समारोह में प्रविंद जगन्नाथ शामिल हुए थे।
वाराणसी, जेएनएन। काशी से मॉरीशस की दूरी वैसे तो काफी है मगर बीते चौबीस घंटों में यह दूरियां इसी वर्ष में एक बार और कम हो गईं। दरअसल मॉरीशस में भारतवंशी प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने दोबारा चुनाव में जीत हासिल कर सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत की है। इसी वर्ष जनवरी 21-23 तक वाराणसी में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस समारोह में वे शामिल भी हुए थे। इस दौरान उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के अलावा वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में उन्हाेंने सिर झुकाकर अपने पूर्वजों की माटी को नमन भी किया था। वहीं संबोधन के दौरान भोजपुरी बोली से उन्होंने काशी वासियों का दिल भी जीत कर काशी से अनोखा रिश्ता भी कायम किया था।
आयोजन के दौरान न्यूजीलैंड के भारतवंशी सांसद कंवजीत सिंह बक्शी भी शामिल हुए थे। मॉरीशस में चुनावी जीत हासिल करने के बाद प्रविंद जगन्नाथ को बधाई देते हुए कंवलजीत सिंह बख्शी ने उनकाे वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान हुई मुलाकात की यादें ताजा कर दीं। वहीं काशी में पीबीडी के आयोजन की स्मृतियों को ताजा करते हुए प्रविंद जगन्नाथ ने भी उनका आभार जताया।
दरअसल प्रविंद जगन्नाथ के पूर्वज बलिया जिले के रसड़ा के रहने वाले थे और करीब दो सदी पहले वह मॉरीशस जाकर बस गए और अब वहां परिवार सत्ता के न सिर्फ शीर्ष पर विद्यमान है बल्कि भारतीय मूल्यों, परंपराओं और आदर्शों के साथ ही भोजपुरी बोली को भी जीवंत रखा है। वाराणसी में स्थापित भोजपुरी बोली को समर्पित भोजपुरी माई की प्रतिमा दोनों देशों के रिश्तों की कहानी कहती है।
वहीं वाराणसी से सांसद और पीएम नरेंद्र माेदी ने भी उनकी जीत पर बधाई दी तो संबंधों को रीटवीट करते हुए प्रविंद जगन्नाथ ने भारत से और बेहतर संबंधों की प्रतिबद्धता को दोहराया। वहीं कई भारतीयों और भारतवंशियों ने प्रविंद जगन्नाथ के चुनाव में सफलता पर उनको बधाई दी है।