वाराणसी में दुराचारियों के लिए मंदिर में प्रवेश निषेध, बेटियों को बचाने के लिए मंदिर के कपाट हुए बंद
देश भर की अजन्मी बेटियों (भ्रूण हत्या) के लिए पिंड दान करने वाली संस्था आगमन ने बेटियों को बचाने के लिए नई पहल काशी से की है।
वाराणसी, जेएनएन। देश भर की अजन्मी बेटियों (भ्रूण हत्या) के लिए पिंड दान करने वाली संस्था आगमन ने बेटियों को बचाने के लिए नई पहल काशी से की है। धर्म की नगरी काशी में अब बलात्कारियों के लिए देवी मंदिरों का द्वार भी बन्द हो गया है। सामाजिक संस्था आगमन ने इसके लिए विशेष मुहिम शुरू की है जिसके तहत आज वाराणसी के कालिका गली स्थित कालरात्रि मंदिर में दुराचारियों के साथ ही बेटियों का सम्मान न करने वाले और बेटियों के जन्म पर दुखी होने वालों के मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लग गया है।
मंदिर से दुराचारियों को दूर रखने के लिए बाकायदा मंदिर के मुख्य द्वार के साथ ही गर्भगृह सहित अन्य जगहों पर पोस्टर भी चस्पा किये गए है जिसमें बेटियों का सम्मान न करने वालों, बेटियों के जन्म पर दुखी होने वाले और दुराचारियों का मंदिर में प्रवेश निषेध बताया गया है। इसके साथ ही पोस्टर पर निवेदक के तौर पर दो दशकों से बेटियों के जन्म, सुरक्षा और अधिकार की लड़ाई लड़ रही सामाजिक संस्था आगमन और मंदिर के महंथ श्री नारायण तिवारी का नाम लिखा है।
आगमन सामाजिक संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. संतोष ओझा ने बताया कि संस्था ने कालरात्रि मन्दिर में पोस्टर लगाकर दुराचारियों और बेटियों के जन्म से दुखी होने वाले लोगों को मन्दिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की इस मुहिम की शुरुआत की है। शहर के अन्य देवी मंदिरों पर भी ऐसे पोस्टर लगाकर बनारस के सभी मंदिरों में ऐसे लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का अभियान जल्द ही चलाया जायेगा। मंदिर के महंत श्री नारायण तिवारी ने बताया कि जो समाज मे महिलाओं का सम्मान नही करते और महिलाओं के साथ दुराचार करते हैं उनको देवी दर्शन करने का अधिकार नही है। आयोजन में मुख्य रूप से डॉ संतोष ओझा, श्रीनारायण तिवारी, हरिनारायण तिवारी, विष्णुकांत आचार्य, हरिकृष्ण प्रेमी, रजनीश सेठ, राहुल गुप्ता, शिव कुमार, सन्नी, मनोज सेठ, दिलीप श्रीवास्तव और मानस चौरसिया आदि उपस्थित रहे।