पुलिस प्रशासन के पास नहीं है कोई इंतजाम, एनडीआरएफ ने बचा ली साख
वाराणसी : पीएम के संसदीय क्षेत्र में निर्माणाधीन चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर के दो बीम के गिरने के बाद
वाराणसी : पीएम के संसदीय क्षेत्र में निर्माणाधीन चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर के दो बीम के गिरने के बाद पुलिस प्रशासन के अफसरों के हाथ पांव फूल गए। किसी को यह नहीं सूझ रहा था कि आखिर कैसे राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया जाए। अफसरों के घनघनाते फोन के बीच सभी एडिशनल एसपी, सीओ, थानेदार व चौकी प्रभारी के अलावा पीएसी व होमगार्ड के जवान मौके पर पहुंच तो गए लेकिन कुछ कर पाने में खुद को असहज महसूस कर रहे थे। इस बीच शाम को ठीक छह बजे एनडीआरएफ कंट्रोल रूम में प्रशासन के फोन जाते ही जवान पांच मिनट बाद निकले और करीब 15 मिनट में घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति संभाल लिया। हालांकि भारी भीड़ व जगह की बेहद कमी के चलते पहला शव करीब डेढ़ घंटे बाद ही निकल सका।
मसलन, एनडीआरएफ की तर्ज पर प्रदेश में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स का गठन किया जा चुका है। इस टीम में पुलिस व होमगार्ड के जवान शामिल है लेकिन अब तक सूबे स्तर पर इसकी मॉनीट¨रग न होने से पुलिस प्रशासन की इस टीम का मायने ही कुछ नहीं है। इसके चलते आए दिन हादसे होने पर एनडीआरएफ की ओर टकटकी लगाना पड़ता है। बनारस में अब तक जितने हादसे हुए हैं उनमें पुलिस, प्रशासन व नगर निगम के पास ऐसा कोई साधन संसाधन नहीं है जिनसे राहत कार्य को अंजाम दिया जा सके। चूंकि बनारस एनडीआरएफ को ही यूपी व एमपी में अभियान की जिम्मेदारी संभालनी होती है। ऐसे में यदि हादसे के वक्त जवान कहीं बाहर गए होते तो पुलिस व प्रशासन की साख के साथ और भी ज्यादा लोगों की जान जा सकती थी। अफसरों के मुताबिक, सात टीमों में 40-40 सदस्य शामिल थे। तीन घंटे की मशक्कत के बाद राहत कार्य पूरा किया।
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सात टीमों ने किया काम
सात टीमों ने मोर्चा संभाला। हर टीम में 40 जवान शामिल थे। उनके पास हैवी ड्यूटी कटिंग और लिफ्टिंग इक्यूवपमेंट के साथ मेडिकल टीम भी थीं जो जरूरत के हिसाब से लोगों को राहत उपलब्ध करा रही थी। 11 एनडीआरएफ के पीआरओ नीरज कुमार ने बताया कि प्रशासन की ओर से छह बजे कॉल आई। छह बजकर पांच मिनट पर टीम निकली और 15 मिनट के बाद मौके पर पहुंच गई। पीआरओ के मुताबिक, पहले घायल को आधे घंटे में निकाला गया।
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500 जवान थे तैनात
चुंकि बाराबंकी में आठ लोग रविवार को घाघरा नदी में डूबे थे इसलिए 200 से ज्यादा जवान मौके पर गए थे। वाराणसी यूनिट में 1142 जवान हैं लेकिन घटना के वक्त 500 जवान ही थे। मौके पर पहुंचते ही आधी बस, चार गाड़ियों व ऑटो को बाहर निकाला गया। पीआरओ ने कहा कि यदि खाली जगह होती तो और भी आसानी से राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया जा सकता था। बहरहाल पूरी कोशिश करके जल्द से जल्द राहत कार्य को पूरा किया गया।