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पीओके भी भारत का अभिन्न अंग, विद्याश्री न्यास के संयोजन के संगोष्ठी में बोले राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी

केंद्र की भाजपा सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाकर ऐसी बातें ही खत्म कर दी। अब हर हिंदुस्तानी बड़े दावे के साथ कहता है कि पीओके भी हमारा अभिन्न अंग है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 08:23 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 09:10 PM (IST)
पीओके भी भारत का अभिन्न अंग, विद्याश्री न्यास के संयोजन के संगोष्ठी में बोले राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी
पीओके भी भारत का अभिन्न अंग, विद्याश्री न्यास के संयोजन के संगोष्ठी में बोले राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी

वाराणसी, जेएनएन। धर्मार्थ, संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि देश में दशकों से सिर्फ जम्मू कश्मीर के लिए कहा जाता रहा कि वह भारत का अभिन्न अंग है। केंद्र की भाजपा सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाकर ऐसी बातें ही खत्म कर दी। अब हर हिंदुस्तानी बड़े दावे के साथ कहता है कि पीओके भी हमारा अभिन्न अंग है।

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डा. तिवारी गांधी और ङ्क्षहदी सृजन संदर्भ विषयक तीन दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी व लेखक शिविर को अंतिम दिन मंगलवार को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ में उप्र हिंदी संस्थान लखनऊ, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा, साहित्य अकादमी नई दिल्ली व विद्याश्री न्यास ने संयुक्त रूप से किया था। बतौर मुख्य अतिथि राज्यमंत्री ने विद्यानिवास मिश्र की पुस्तक गांधी जी का करुण रस पढऩे का हवाला दिया। कहा, गांधी जी दो अनुयायियों जिन्ना व नेहरू को अपना मानते थे। कहते थे कि दोनों ने भारत को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई लेकिन आजादी के दो वर्ष पूर्व निजी स्वार्थवश उनसे अलग हो गए।

अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (वर्धा) के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ल ने कहा कि गांधी जी ने लिखा कि वे मालवीय जी के पुजारी हैैं और उन पर कुछ लिख नहीं सकते। सिर्फ उनका स्मृति वाचन ही कर सकते हैैं। आज गांधी जी पर कुछ बोलने से पहले उस काल खंड को भी समझना होगा। प्रो. शुक्ल ने पं. विद्यानिवास मिश्र को युग पुरुष बताया और कहा पंडित जी ने अपने काल खंड में विराट काव्यों का सृजन किया। आजीवन मर्यादा को जिया और जिस विषय को पढ़ा वह भी मर्यादा का था।

विशिष्ट अतिथि हिंदुस्तान एकेडमी (प्रयागराज) के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह व महिला महाविद्यालय बीएचयू की पूर्व प्राचार्य चंद्रकला त्रिपाठी ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन डा. उदय प्रकाश व आभार प्रकाश वर्धा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने किया। पूर्वोत्तर भारत के प्रतिभागियों ने लोक नृत्य भी प्रस्तुत किया।

योगेंद्रनाथ शर्मा को विद्या निवास मिश्र स्मृति सम्मान

समारोह में ख्यात साहित्यकार योगेंद्रनाथ शर्मा को इस साल का विद्यानिवास सम्मान प्रदान किया गया। जगदीश पंथी को विद्यानिवास लोककवि सम्मान, राजकुमार सिंह को राधिका देवी लोककला सम्मान, अशोक सिंह को श्रीकृष्ण तिवारी गीतकार सम्मान, अर्जुन तिवारी को विद्यानिवास मिश्र पत्रकारिता सम्मान दिया गया। इसके अलावा राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी व वर्धा विवि के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ल ने जन-जन के राम, पररंपरा व आधुनिकता के प्रतीक पं. विद्यानिवास मिश्र, फादर कामिल बुल्के हिंदी और भारतीयता के पुजारी तथा आलोचना दृष्टि पुस्तक- पत्रिका का विमोचन किया।  


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