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बलिया के सुरहाताल में प्रवासी पक्षियों का शिकार, जानिए कैसे हो रहा परिंदों का अवैध कारोबार

क्रूर शिकारियों का खेल भी बेखौफ बदस्तूर जारी है। इनके अत्याचार से आमजन जहां पूरी तरह परेशान है वहीं हजारों की संख्या में रोजाना इनका शिकार कर खुलेआम बाजारों में क्रूर शिकारियों द्वारा बिक्री की जा रही है। इनके रक्षक मौन धारण किये हुए हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 12:19 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 12:19 PM (IST)
बलिया के सुरहाताल में प्रवासी पक्षियों का शिकार, जानिए कैसे हो रहा परिंदों का अवैध कारोबार
सुरहाताल में क्रूर शिकारियों का खेल भी बेखौफ बदस्तूर जारी है।

बलिया, जागरण संवाददाता। जयप्रकाश नारायण सुरहताल पक्षी विहार की हसीन वादियों में ठंढ के दस्तक के साथ ही मेहमान साईबेरियन पक्षियों का जमावड़ा शुरू होने के साथ क्रूर शिकारियों का खेल भी बेखौफ बदस्तूर जारी है। इनके अत्याचार से आमजन जहां पूरी तरह परेशान है वहीं हजारों की संख्या में रोजाना इनका शिकार कर खुलेआम बाजारों में क्रूर शिकारियों द्वारा बिक्री की जा रही है। इनके रक्षक मौन धारण किये हुए हैं।

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अगर समय रहते रोक नहीं लगा तो आने वाले दिनों में यह जयप्रकाश नारायण पक्षी विहार सुरहाताल पूरी तरह वीरान हो जाएगा। एक समय सुबह सुरहताल के विशाल अथाह जल में इन पक्षियों की जल क्रीड़ा देख दूर- दूर से आने वाले पर्यटकों को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता था तथा लोगों के मन को बड़ा सुकून मिलता था। लेकिन, इधर कुछ वर्षों से इस ताल पर न जाने किसकी नजर लग गयी जो मेहमान पक्षी के आते ही शिकारियों द्वारा इनकी हत्या कर दी जा रही है। इस बार भी मेहमान पक्षी आ तो रहे हैं लेकिन क्रूर शिकारियों द्वारा आते ही उन्हें धोखे से जहर देकर मार दिया जा रहा है। जिससे कभी पक्षियों से इस समय गुलजार रहने वाला यह सुरहताल पूरी समय वीरान ही वीरान नजर आ रहा है।

ठंड का मौसम शुरू होते ही दर्जनों प्रजाति के साईबेरियन पक्षियों का हजारों झुंड विशाल सुरहताल में आकर अपना बसेरा बना लेते थे। ठंड के समाप्त होते ही फरवरी के अन्त व मार्च के शुरुआत तक पुनः साइबेरिया चले जाते हैं। लोगों ने बताया कि वहां से आने वाले पक्षियों में टिका, लालसर, जांघिल, सारस आदि पक्षियों को देखने भी लोग आते हैं। सुरहाताल के अंदर लगे धान और अथाह जल में मौजूद कीड़े आदि इनका मुख्य आहार हैं।

ऐसे होता हैं इनका शिकार : कुछ वर्षों से क्रूर शिकारियों द्वारा तितलियों को पकड़ उन्हें मार कर उनके अंदर हरे रंग का जहर भर ताल के अंदर पानी पर जगह जगह रख दिया जाता हैं। शिकारी दूर कहीं जाकर नाव में छुप कर बैठ जाते हैं। भोले भाले पक्षी तैरते पानी पर कीट पतंगों को अपना चारा समझ ज्यों ही इसे खाते हैं उनको खाते ही अचेत हो जाते हैं। जिन्हें दूर बैठा शिकारी नाव से उन्हें अचेत अवस्था में ही पकड़ कर नमक का घोल पिला जिंदा करने का प्रयास करता हैं। जिंदा पक्षी तीन सौ से चार सौ रुपये तक में बिकता है। वहीं मरे पक्षी की कीमत कम मिलता है। इसका मांस खाने के शौकीन सुबह ही सुरहाताल के किनारे बड़ी- बड़ी लग्जरी गाड़ियों से चोरी छुपे तय स्थान पर पहुंचकर खरीद फरोख्त करते हैं। जबकि सरकार द्वारा इसके मारने पर दण्ड का कड़ा प्रवधान किया गया हैं । ऐसा नही हैं की इसकी रखवाली के लिए काशी वन्य जीव प्रभाग वाराणसी द्वारा लोगों को रखा गया है। लेकिन, इतने विशाल सुरहताल में ये नाकाफी साबित हो रहे हैं। इस समय सबसे ज्यादा मैरिटार, कैथवली तथा बसन्तपुर, शिवपुर, ओझा के डेरा के तरफ से पक्षियों का शिकार शिकारियों द्वारा किया जा रहा है।


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