वट से बांधें, सांसों की डोर : सभ्यता बचाने के लिए लगाएं बरगद की पौध, बलिया जुटा मुहिम में
पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पौधे की आवश्यकता है। इसमें बरगद एवं पीपल का पौधा काफी लाभदायक है। इसमें देवताओं का वास होता है। हमारी संस्कृति व सभ्यता में इन पेड़ों का महत्व है। वहीं यह अपनी छाया से शीतलता भी प्रदान करते हैं।
बलिया, जेएनएन। वट वृक्ष की की धार्मिक मान्यता काफी है। इस पेड़ की छाल में विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा एवं शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है। इसकी विशालता एवं आयु दीर्घता के कारण ही महिलाएं इसे अखंड सौभाग्य का प्रतीक मानकर ज्येष्ट मास की अमावस्या को विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। कोरोना महामारी में आक्सीजन की कमी ने प्रकृति पदत्त चीजों के महत्व को बढ़ा दिया है। ऐसे में आएं हम सब संकल्प लेकर एक बरगद का पौधा लगाएं।
पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पौधे की आवश्यकता
पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पौधे की आवश्यकता है। इसमें बरगद एवं पीपल का पौधा काफी लाभदायक है। इसमें देवताओं का वास होता है। हमारी संस्कृति व सभ्यता में इन पेड़ों का महत्व है। वहीं यह अपनी छाया से शीतलता भी प्रदान करते हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक भी करूंगीं।
-सरिता सिंह, चेयरमैन, नगर पंचायत सहतवार।
वट वृक्ष की पूजा पीढ़ियों से चली आ रही है। इन पेड़ों को काटने की भी मान्यता नहीं है। बरगद के इन पेड़ों को संरक्षित रखने का पूरा प्रयास होगा। वहीं अधिक से अधिक इस पेड़ को लगाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा, जिससे लोगों को प्रकृति से आक्सीजन की कमी न हो।
-जयश्री पांडेय, नगर पंचायत, रेवती।
हिंदू धर्म में पेड़ों की काफी महत्व है। इसमें बरगद के पेड़ में देवताओं को वास होता है। इसलिए इस पेड़ को काटना भी पाप माना जाता है। पूजा भी मन्नतें पूरी होने पर की जाती है। कमी से कोरोना काल में आक्सीजन की कमी महसूस की गई थी। बरगद के इस पेड़ को संरक्षित करने के लिए पूरा प्रयास करूंगीं।
-सुरेखा सरावगी, समाजसेविका।
कोरोना काल में प्रकृति के महत्व लोगों के समझ में आ गया है
कोरोना काल में प्रकृति के महत्व लोगों के समझ में आ गया है। ऐसे में आक्सीजन देने वाले पौधों का रोपण करना अति आवश्यक है। वट वृक्ष इसमें सबसे कारगर और आस्था काे पेड़ है। यह एक विशाल वृक्ष होता है। इसकी छांव में हर किसी को आराम मिलता है। चार पौधे को रोपण 10 जून को करूंगीं।
- पुष्पांजलि सिंह, हाेली एंजल स्कूल, जलालपुर।
आध्यात्मिक जगत की छाया को प्रतिबिंबित करता वटवृक्ष लंबी आयु, सुख, समृद्धि व अखंड सौभाग्य प्रदान करता है। इसकी पूजा से कलह व संताप दूर होते हैं। सर्वाधिक लंबी आयु तक रहने वाला वट वृक्ष विशाल छाया तो देता ही है साथ ही सर्वाधिक आक्सीजन भी देता है। इसकी छाल, फल व दूध का उपयोग भी रोगों के निदान में होता है। आज भी बरगद के नीचे पंचों द्वारा निर्णय सुनाने की परंपरा कायम है। हर गांव मोहल्लों में न्यूनतम एक वट वृक्ष होना अनिवार्य है।
- डॉ. नवचंद्र तिवारी, शिक्षक
उद्देश्य
-औषधीय वृक्ष के रूपमें बरगद की छाल, पत्ती, फल, जड़, तना का उपयोग होता है।
-इससे अनेक प्रकार की पौष्टिक औषधियां बनायी जाती हैं।
-आक्सीजन चौबीस घंटा देने वाला यह वृक्ष है।
-इससे 80 प्रतिशत आक्सीजन प्राप्त होता है।
-भारत में अनेक स्थानों पर बरगद के 400 से अधिक पुराने वृक्ष उपलब्ध हैं।