काशी विद्यापीठ : शोधगंगा से रुकेगी शोधपत्रों की चोरी, प्रथम चरण में 6500 शोध प्रबंध अपलोड करने का लक्ष्य
साहित्यिक चोरी रोकने के लिए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने थीसिस अब शोधगंगा पर भी अपलोड करने का निर्णय लिया है ताकि शोध प्रबंध आॅनलाइन किया जा सके। इस दिशा में थीसिस को स्कैन कर शोध गंगा पोर्टल पर अपलोड करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
वाराणसी, जेएनएन। साहित्यिक चोरी रोकने के लिए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने थीसिस अब शोधगंगा पर भी अपलोड करने का निर्णय लिया है ताकि शोध प्रबंध आॅनलाइन किया जा सके। इस दिशा में थीसिस को स्कैन कर शोध गंगा पोर्टल पर अपलोड करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। प्रथम चरण में 6500 शोध प्रबंध को शोध गंगा में अपलोड करने की योजना है। अब तक 1785 शोध प्रबंध अपलोड किए जा चुके हैं। ऐसे में अब शोधार्थी घर बैठे ऑनलाइन शोध प्रबंध का अध्ययन कर सकते हैं।
यूजीसी के निर्देश पर अब शोधार्थियों से साफ्ट कापी में भी शोध-प्रबंध जमा कराए जा रहे हैं। शोध प्रबंधों को ऑनलाइन करने के लिए इन्फलिबनेट केंद्र (अहमदाबाद) की कंपनी ने शोध गंगा नामक पोर्टल बनाया है। ताकि विश्वविद्यालय इस पोर्टल पर शोध प्रबंधों को अपलोड कर सके। इसके पीछे शोध-प्रबंध में बढ़ती हुई नकल की प्रवृत्ति पर लगाम लगाया है। यूजीसी के निर्देश के बावजूद शोध गंगा पर शोध प्रबंध अपलोड करने का विश्वविद्यालयों में काफी सुस्त चल रहा है।
हालांकि, विद्यापीठ प्रशासन ने इस दिशा में पहल तेज कर दी है। इस क्रम में परिसर स्थित डा. भगवान दास केंद्रीय पुस्तकालय में पुराने शोध प्रबंधों को भी ऑनलाइन करने की दिशा में पहल तेज कर दी गई है। इसके लिए स्कैनर मशीन सहित अन्य उपकरण भी क्रय किए जा चुके हैं। शोध प्रबंधों को स्कैन करने के लिए दो कर्मचारी लगाए गए हैं। कुलसचिव डा. एसएल मौर्य ने बताया कि प्रथम चरण में 6500 शोध प्रबंध को ऑनलाइन करने की योजना बनाई गई है। वहीं अब अब शोधार्थियों से साफ्ट कापी में भी शोध-प्रबंध जमा कराए जा रहे। मूल्यांकन के बाद इन शोध प्रबंध को सीधे ऑनलाइन कर दिया जा रहा है।