वाराणसी नगर में कहीं पाइप लीकेज तो कहीं दूषित पेयजल की हो रही आपूर्ति, लोगों को हो रही दिक्कत
वाराणसी नगर में पेयजल को लेकर जनता परेशान है। कहीं पाइप में लीकेज है तो कहीं दूषित पेयजल आपूर्ति हो रही है इससे लोगों को काफी दिक्कत हो रही है।
वाराणसी, जेएनएन। नगर में पेयजल को लेकर जनता परेशान है। कहीं पाइप में लीकेज है तो कहीं दूषित पेयजल आपूर्ति हो रही है। वरुणापार स्थित पांडेयपुर की गायत्री नगर कालोनी में दूषित पेयजल आपूर्ति से परेशान लोगों का कहना है कि जो पानी आ रहा वह स्नान करने के लायक भी नहीं है। इससे पूर्व भी इलाके में दूषित पेयजल आपूर्ति की शिकायत मिली थी। जल निगम के अफसरों ने जांच की तो मालूम हुआ कि सारनाथ के बरईपुर में बने वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से गंदे पानी की आपूर्ति हो रही थी।
इस मामले में प्लांट संचालन की जिम्मेदारी संभाल रही मेघा कंपनी के आपरेटर को कार्य मुक्त कर जिम्मेदारियों की इतिश्री कर ली गई, मगर जनता की समस्या जस की तस है। श्रीनगर कालोनी पहडिय़ा, राज्य ङ्क्षहदी संस्थान पुलिस लाइन, जेपी मेहता इंटर कालेज के समीप की गली में लीकेज होने से रोज हजारों लीटर पानी सड़कों पर बह रहा। इससे जहां जलजमाव है तो सड़कें भी खराब हो रही हैं। पानी की बर्बादी अलग से है। पेयजल समस्या को लेकर जलकल महाप्रबंधक नीरज गौड़ का कहना है कि पूरी कोशिश हो रही है कि जनता को शुद्ध पानी पिलाया जाए। इसके लिए कई स्थानों पर पानी की जांच कराई जा रही है। उन्होंने वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी की आपूर्ति की शुद्धता पर ही सवाल उठाया। कहा कि जब साफ पानी मिलेगा ही नहीं तो जनता तक शुद्ध जल कैसे पहुंचाया जा सकता है। स्पष्ट कर दें कि वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट संचालन की जिम्मेदारी संभाल रही कंपनी की निगरानी का जिम्मा जल निगम का है। जलकल विभाग घरों तक आपूर्ति प्रबंधन संभालता है। ऐसे में दो विभागों की खींचतान में जनता पिस रही।
एक दशक में करोड़ों रुपये पानी में बहा दिए गए लेकिन जनता की प्यास नहीं बूझ सकी
नगर में पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बीते एक दशक में करोड़ों रुपये पानी में बहा दिए गए लेकिन जनता की प्यास नहीं बूझ सकी। नदी पर आधारित पेयजल योजना को वर्ष 2010 में ही पूर्ण हो जाना था लेकिन अब तक उसे मुकाम नहीं मिला। जेएनएनयूआरएम के तहत प्राथमिकता को तय करते हुए शहर को दो हिस्सों में बांटा गया और सिस व ट्रांस वरुणा के लिए 760 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया गया। वर्तमान में इस प्रोजेक्ट के तहत 42 नई ओवरहेड टंकियां बनीं तो 16 पुरानी टंकियों को नया किया गया जो अब तन के स्मार्ट तरीके से खड़ी तो हैं लेकिन बिन पानी धांधली की गवाही दे रही हैं।