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फिजीशियन को निलंबित कर महानिदेशालय से संबद्ध, सर्जन पर एफआइआर की संस्तुति

तीन दिन पहले पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल में दवा दलालों को शह देने में फिजीशियन डा. सत्यप्रकाश को शासन ने सोमवार को निलंबित कर महानिदेशालय से संबद्ध कर दिया।

By Edited By: Published: Tue, 25 Jun 2019 01:05 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2019 09:52 AM (IST)
फिजीशियन को निलंबित कर महानिदेशालय से संबद्ध, सर्जन पर एफआइआर की संस्तुति
फिजीशियन को निलंबित कर महानिदेशालय से संबद्ध, सर्जन पर एफआइआर की संस्तुति

वाराणसी, जेएनएन। शासन की सख्ती का असर कह सकते हैं कि दलालों से सांठगांठ सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों पर भारी पड़ने लगी है। तीन दिन पहले पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल में दवा दलालों को शह देने में फिजीशियन डा. सत्यप्रकाश को शासन ने सोमवार को निलंबित कर महानिदेशालय से संबद्ध कर दिया। इसी तरह के मामले में मंडलीय अस्पताल के सर्जन डा. एसके पांडेय व सहयोगी दलाल मोइन पर एफआइआर की प्रमुख अधीक्षक ने संस्तुति कर दी। इसके लिए उन्होंने कोतवाली थाना प्रभारी को मय साक्ष्य पत्र लिखा। प्रकरण से शासन को भी अवगत करा दिया।

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मंडलीय अस्पताल के वार्ड नंबर आठ के बेड संख्या नौ पर 18 जून को भर्ती पीलीकोठी निवासी नेयाज अहमद का 20 जून को अपेंडिक्स का आपरेशन किया गया। उनकी पत्नी सादिया ने सर्जन व कथित दलाल मोईन द्वारा बाहर से दवा लेने के लिए मजबूर किए जाने की एसआइसी डा. बीएन श्रीवास्तव से शिकायत की। इसमें डा. पांडेय के नाम पर मोईन द्वारा पांच हजार रुपये वसूले जाने का भी आरोप लगाया। एसआइसी ने पर्चे पर डाक्टर की राइटिंग की पहचान कराने के साथ ही सीसीटीवी फुटेज से पुष्टि की और सुसंगत धारा में एफआइआर की संस्तुति कर दी। हालांकि डा. एसके पांडेय का कहना है कि उनके नाम पर रुपये लेने का मामला संज्ञान में नहीं है।

इससे पहले 21 जून को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशनके निदेशक पंकज कुमार के निरीक्षण में फिजीशियन डा. सत्यप्रकाश व डा. एसके राय के ओपीडी चैंबर में मेडिकल स्टोर संचालक दवा लिखते पाए गए थे। उनके लिए बकायदा कुर्सियां भी लगाई गई थीं। शासन ने अस्पताल में दवाएं होने के बाद भी सरकारी पर्चे पर बाहरी व्यक्ति से दवा लिखवाने को गंभीर अपकृत्य मानते हुए डा. सत्यप्रकाश को निलंबित कर दिया। प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी की ओर से जारी पत्र के अनुसार डा. सत्यप्रकाश को महानिदेशालय से संबद्ध किया गया है। विभागीय जांच की जिम्मेदारी वाराणसी मंडल के अपर निदेशक स्वास्थ्य डा. बीएन सिंह को दी गई है। माना जा रहा है दूसरे चिकित्सक डा. एसके राय का पुनर्नियोजन रद किया जा सकता है।

रवानगी का लेटर तैयार होते ही सीएमएस बीमार : पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल में दु‌र्व्यवस्था के कारण स्थानांतरित सीएमएस डा. विपुल कुमार रवानगी का पत्र तैयार होते सोमवार को मेडिकल लीव पर चले गए। शासकीय पत्र के आधार पर अपर निदेशक ने उन्हें चार्ज हैंडओवर करने का पत्र भेजा। उन्होंने बताया कि मंगलवार को डा. विपुल नहीं भी आते हैं तो एकतरफा चार्ज डा. एसके पांडेय को दे दिया जाएगा। एनेस्थेटिस्ट डा. पांडेय अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक हैं और इससे पहले भी यह जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

शिकंजा कसते ही दुकानों पर ताला : पं. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में मरीजों को बाहरी दवा लिखे जाने और मेडिकल स्टोर संचालकों की मनमानी की पुष्टि होने के साथ ही दुकानों पर ताला लग गया। अस्पताल के आसपास एक दर्जन से अधिक मेडिकल स्टोर हैं। इनके संचालक या एजेंट कुछ को छोड़ लगभग हर डाक्टर की ओपीडी में बैठे मिलते हैं। इस संबंध में लंबे समय से शिकायत की जा रही थी। सीएम के आने से एक दिन पहले मिशन निदेशक पंकज कुमार के निरीक्षण में यह सब सामने आ गया। इसमें मेडिकल स्टोर संचालकों पर उन्होंने एफआइआर का निर्देश दे दिया था।

स्वास्थ्य मंत्री संभालेंगे मोर्चा : पीएम के संसदीय क्षेत्र में डाक्टरों-दलालों की सांठगांठ सामने आने के बाद सरकार भी सकते में है। पं. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के बाद अब मंडलीय अस्पताल में ऐसा ही मामला पकड़ा गया। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री 27 जून को बनारस आ रहे हैं और दो दिन यहां ही डेरा डालेंगे। इस संबंध में अफसर बोलने को तो तैयार नहीं लेकिन सभी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया है। माना जा रहा है इसमें सूचनाएं छिपाने वाले अफसरों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

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