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गंगा तट से अवैध बालू खनन के विरुद्ध एनजीटी में याचिका दायर, निविदा दिसंबर में हो चुकी है समाप्त

गंगा में अवैध खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) प्रधान पीठ नई दिल्ली के न्यायालय में सामाजिक कार्यकर्ता डा. अवधेश दीक्षित ने प्रयागराज उच्च न्यायलय में याचिका दायर की है। इस बाबत उन्‍होंने पर्याप्‍त साक्ष्यों को भी पेश कर इसमें कार्रवाई की मांग की है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 05:52 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 05:52 PM (IST)
गंगा तट से अवैध बालू खनन के विरुद्ध एनजीटी में याचिका दायर, निविदा दिसंबर में हो चुकी है समाप्त
पर्याप्‍त साक्ष्यों को भी पेश कर इसमें कार्रवाई की मांग की है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। एक तरफ केंद्र सरकार गंगा की स्वच्छता और पारिस्थितिकी की चिंता को लेकर नमामि गंगे जैसी योजना के माध्यम से सक्रिय है तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तमाम शिकायतों के बाद भी अवैध बालू खनन कर इसकी लूट अहर्निश जारी है। इसके विरुद्ध नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (राष्ट्रीय हरित अधिकरण), प्रधान पीठ, नई दिल्ली के न्यायालय में सामाजिक कार्यकर्ता डा. अवधेश दीक्षित ने प्रयागराज उच्च न्यायलय में याचिका दायर की है। इस बाबत उन्‍होंने पर्याप्‍त साक्ष्यों को भी पेश कर इसमें कार्रवाई की मांग की है। 

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याचिकाकर्ता का आरोप है कि जून 2021 में जारी खनन की निविदा की अवधि दिसंबर 2021 में समाप्त हो चुकी है, लेकिन तब से अभी तक लगातार मनमाने ढंग से दर्जनों जेसीबी और हजारों ट्रैक्टर लगा कर के अवैध बालू खनन शुरू है। जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी और जिला खनन अधिकारी की मिलीभगत से इन ठेकेदारों ने लूट मचा रखी है। निश्चित मात्रा में नहर से निस्तारित बालू को उठाने की बजाए अब तक उससे कई गुना ज्यादा बालू यहां वहां से खोद कर नदी के तट का स्वरूप विद्रूप कर दिया गया जो आगामी बाढ़ में किनारे के कटान का सबब बन सकता है।

साक्ष्य पूर्ण शिकायतों के बाद भी प्रशासन की तरफ से इस लूट पर कोई कार्यवाही नहीं की गई तो सामाजिक कार्यकर्ता डा. अवधेश दीक्षित की तरफ से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका दायर कर इस पर अविलंब हस्तक्षेप करने, अवैध बालू खनन पर त्वरित रुप से रोक लगानें व स्वतंत्र जांच समिति गठित करते हुए मामले कि उच्च स्तरीय जांच व दोषियों पर कार्रवाई तथा गंगा व पर्यावरण की रक्षा की प्रार्थना की गई है। याचिका में वर्तमान बालू खनन को सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी द्वारा दिये फैसले के विरुद्ध बताया गया है।


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