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मीरजापुर के दर्जनों गांवों के हजार बीघे से अधिक क्षेत्र में होती है पेठे वाले रेक्सहवा कोहड़े की खेती

घरों में मेहमान आने पर लोग सूखे मिष्ठान के रूप में पेठा ही प्रस्तुत कर उनका स्वागत करते है और पानी पीने के लिए देते है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 06:10 AM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 11:14 AM (IST)
मीरजापुर के दर्जनों गांवों के हजार बीघे से अधिक क्षेत्र में होती है पेठे वाले रेक्सहवा कोहड़े की खेती

मीरजापुर, जेएनएन। घरों में मेहमान आने पर लोग सूखे मिष्ठान के रूप में पेठा ही प्रस्तुत कर उनका स्वागत करते है और पानी पीने के लिए देते है। यह पेठा लोगों के लिए बहुत लाभदायक भी होता है और रखने पर खराब भी कम होता है।  लेकिन जिससे पेठा को बनाया जाता है उसका ही भाव गिर जाने के कारण खेतों में एक कोने में फेंका पड़ा हुआ है। किसानों ने बताया कि रेक्सहवा कोहड़े का दाम गरमी के मौसम बढऩे की संभावना होती है।   

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चील्ह क्षेत्र के दर्जनों गांव में लगभग एक हजार बीघे में खेती की जाती है। रेक्सहवा कोहड़े की बिक्री कम होने के कारण किसान भी मायूस है। इसका कारण है कि इस समय लगन चल रहा है और लोग पेठा बनाने का काम बंद कर दिया है। पेठा और बर्फी तथा अन्य खाने वाले व्यजंन बनने वाली रेक्सहवा कोहड़ा की पैदावार कोन ब्लाक के तिलठी, मझरा, चेकसारी, रक्का भुआल, साहबपुर आदि गांवों मेें लगभग एक हजार बीघा में खेती इस वर्ष किया गया है। किंतु अब तक तीन से चार सौ रुपया के बीच प्रति क्विंटल होने के कारण किसान रेक्सहवा कोहड़ा अपने खेतों के एक कोने में रख कर डंप कर दिया है। 

खेतों में पड़ा है कोहड़ा, किसान परेशान

चील्ह क्षेत्र में रेक्सहवा कोहड़ा की खेती करने वाले किसान सेवालाल, काशी, रामचंद्र एवं बच्चू ङ्क्षबद ने बताया कि इस वर्ष कोहड़ा की उत्पादन एक बीघे में 100 क्विंटल तक पैदावार हो गया है। साथ ही यह कोहड़ा प्रदेश के विभिन्न जनपदों से पेठा बनाने वाले व्यापारी खरीदारी करने आते हैं तथा यहीं से विभिन्न मंडियों में जाती है ङ्क्षकतु कोहड़ा का भाव कम होने के कारण सभी किसान नहीं बेच पा रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताया कि भविष्य में कोहड़ा का भाव अधिक होगा तभी इसकी बिक्री की जाएगी।   

लागत न निकलने के कारण किसान चिंतित 

किसानों ने बताया कि इस वर्ष जिस भाव में व्यापारी खरीदारी करने के लिए आते है उसे लागत भी नहीं निकल पा रहा है। दाम घटने के कारण किसान चिंतित है और परेशान भी है। ऐसे में सभी रेक्सहवा कोहड़े को खेत के एक कोने में रख दिया है कि जब दाम बढ़ेगा तब बेचा जाएगा या तो फिर खराब ही हो जाएगा। 


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