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लोकसभा व विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष बढ़ाया जाना चाहिए, बोलीं अनुप्रिया पटेल

सांसद अनुप्रिया पटेल ने कहा कि आजादी के सात दशक के बाद भी अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग की राजनीतिक सामाजिक व आर्थिक स्थिति में खास परिवर्तन नहीं हो पाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 09:29 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 09:29 PM (IST)
लोकसभा व विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष बढ़ाया जाना चाहिए, बोलीं अनुप्रिया पटेल
लोकसभा व विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष बढ़ाया जाना चाहिए, बोलीं अनुप्रिया पटेल

मीरजापुर, जेएनएन। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद अनुप्रिया पटेल ने कहा कि आजादी के सात दशक के बाद भी अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग की राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक स्थिति में खास परिवर्तन नहीं हो पाया। ऐसे में इस वर्ग के लिए लोकसभा व विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण की अवधि को दस साल बढ़ाया जाना चाहिए। इससे इस वर्ग के लोगों में राजनीतिक सशक्तिकरण होगा तो उनके जीवन में बड़ा बदलाव हो पाएगा।

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मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में 126वां संविधान संशोधन विधेयक पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस बिल के पास हो जाने से एससी-एसटी वर्ग का 10 वर्षों के लिए संसद और विधानसभाओं में आरक्षण बढ़ जाएगा। लोकसभा की 131 और विधानसभाओं की 527 सीटें पुन: आरक्षित हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि आज भी अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के साथ हर क्षेत्र में भेदभाव हो रहा है। सरकारी नौकरियों में स्पेशल रिक्रूटमेंट ड्राइव के बाद भी बैकलॉग पूरा नहीं हो पा रहा है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2007-2017 के बीच एससी-एसटी के खिलाफ अपराध में 66 फीसद की वृद्धि हुई है। हर दिन एससी-एसटी वर्ग की कोई बेटी दुष्कर्म की घटना का शिकार हो रही है। देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में कास्ट बेस्ड डिस्क्रिमिनेशन के कारण एससी-एसटी वर्ग के छात्र-छात्राएं आत्महत्या कर रही हैं। देश के विश्वविद्यालयों में एससी-एसटी के लोग एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नहीं है तो कभी कोई एससी-एसटी कुलपति बनेगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। सांसद ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में इनके हित की आवाज उठाने के लिए राजनीतिक सशक्तिकरण जरूरी है। संसद और विधानसभाओं में आरक्षित सीटों की व्यवस्था को बहाल करके हम इनकी आवाज को मजबूती से सरकारों तक पहुंचा सकते हैं।  


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