खाड़ी देश के लोग खाएंगे Kashi sandesh Brinjal, आठ नवंबर को बनारस से निर्यात की जाएंगी 30 क्विंटल सब्जियां
आठ नवंबर को 30 क्विंटल काशी संदेश भंटा सेम व मटर भी निर्यात करने की तैयारी चल रही है। खाड़ी देशों में काशी संदेश भंटा का निर्यात तय है। वहीं सेम मटर व हरी मिर्च का निर्यात गुणवत्ता पर निर्भर करेगा।
वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में पेरिशेबल कार्गो सेंटर की स्थापना के बाद पूर्वांचल धीरे-धीरे फलों व सब्जियों के निर्यातक का हब बनता जा रहा है। दुनिया के कई देशों में भिंडी, मटर, करैला, अमरूद, हरी मिर्च, आंवला, आम आदि के साथ काशी संदेश भंटा की मांग बढ़ी है। गत 22 अक्टूबर को लखनऊ से 30 क्विंटल हरी मिर्च खाड़ी देश निर्यात की गई थी। अब आठ नवंबर को 30 क्विंटल काशी संदेश भंटा, सेम व मटर भी निर्यात करने की तैयारी चल रही है। खाड़ी देशों में काशी संदेश भंटा का निर्यात तय है। वहीं सेम, मटर व हरी मिर्च का निर्यात गुणवत्ता पर निर्भर करेगा।
बनारस सहित आसपास जिलों के सब्जियों व फलों के निर्यात के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से वेजिटेबल एंड फ्रूट्स एक्सपोर्ट एसोसिएशन (वाफा) व फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) के बीच समझौता हुआ था। वाफा के माध्यम से एफपीओ कई देशों में सब्जियों का निर्यात कर रहा है। इसके तहत वर्ष दिसंबर 2019 में पहली बार 15 टन हरी मिर्च का निर्यात किया गया था। बनारस व आसपास के जिलों की पतली व तीखी हरी मिर्च की मांग कई देशों में है। हाल में ही दुबई, ओमान, जर्मनी, कतर व यूके से 350 टन हरी मिर्च का आर्डर मिला है। इस क्रम में खाड़ी देशों में हरी मिर्च के अलावा भंटा, सेम व मटर का भी आर्डर मिल रहा है। एफपीओ के निदेशक राम कुमार राय ने बताया कि एयर कार्गो कंटेनर से एक बार में 30 क्विंटल ही निर्यात अनुमति दी जाती है। इस बार भी 30 क्विंटल सब्जी निर्यात की जाएगी। वहीं लखनऊ के स्थान पर बनारस से सीधे खाड़ी देशों में भंटा, सेम भेजने की योजना है। हालांकि लखनऊ से भेजा जाएगा या बनारस से यह बात एक-दो दिन में स्पष्ट होने की संभावना है।
काशी संदेश भंटा की उन्नत प्रजाति है
काशी संदेश भंटा की उन्नत प्रजाति है। भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र ने इस प्रजाति को वर्ष 2006 में विकसित किया है। विदेशों में गोल भंटा अर्थात काशी संदेश लोकप्रिय हो रहा है। इसे देखते हुए किसानों को बीज भी उपलब्ध कराए गए थे। किसानों को आर्गेनिक खाद से सब्जियों की खेती के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। अभियान चलाकर किसानों को प्रशिक्षित किया गया था। अब इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
-जगदीश सिंह, निदेशक (भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र)