खादी ग्रामोद्योग आयोग की वाराणसी में बनी पश्मीला शाल और साड़ी अक्टूबर तक बाजार में
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अब काशी में पश्मीना शाल और साड़ी की बुनाई शुरू करके अक्टूबर तक बाजार में उपलब्ध कराने में जुट गया है। इस प्रकार का प्रयास काशी में पहली बार किया जा रहा है। पश्मीना शाल की बुनाई कुछ माह पहले ही शुरू की गई थी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अब काशी में पश्मीना शाल और साड़ी की बुनाई शुरू करके अक्टूबर तक बाजार में उपलब्ध कराने में जुट गया है। इस प्रकार का प्रयास काशी में पहली बार किया जा रहा है। पश्मीना शाल की बुनाई कुछ माह पहले ही शुरू की गई थी, जिसे अब व्यापक पैमाने पर उत्पादन किया जाएगा।
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के निदेशक रहे डा. डीएस भाटी ने बताया कि पश्मीना साल और साड़ी को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। लेह और काशी के बीच में रोजगार सृजन करने में यह प्रयास काफी कारगर सिद्ध होगा। लेह में पुन्नी यानी धागे का बंडल बनाया जाएगा और काशी क्षेत्र में उससे साड़ी और शाल की बुनाई कराई जाएगी। बुनाई वाराणसी की एक और गाजीपुर में तीन खादी की संस्थाएं करेंगी। यहां बड़ी संख्या में बुनकरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध किए जाएंगे जिसमें महिलाएं अधिक होंगी।
हालांकि अभी दोनों उत्पादों के दाम और उत्पादन लक्ष्य को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन अनुमानत: साड़ी 25 हजार और शाल की कीमत 13 हजार से शुरू हो सकती हैै। वहीं मांग के अनुसार उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। शाल में सिर्फ पश्मीना का उपयोग होगा वहीं साड़ी मिश्रित होगी।
रितेश कुमार श्रीवास्तव ने निदेशक का कार्यभार
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के निदेशक डा. डीएस भाटी गुरुवार को सेवानिवृत्त हो गए। उनकी जगह रितेश कुमार श्रीवास्तव ने मंडलीय कार्यालय तेलियाबाग में निदेशक का कार्यभार संभाला। इससे पूर्व उन्होंने दिल्ली में अध्यक्ष सचिवालय में नौ माह तक सेवा दी है। नवनियुक्त निदेशक ने बताया कि पूर्व के कार्यों को और बेहतर ढंग से उच्च शिखर तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।
गुरुवार को डा. भाटी को विदाई दी गई। साथ ही नवनियुक्त निदेशक रितेश कुमार श्रीवास्तव का स्वागत किया गया। समारोह में खादी संस्थाओं के पदाधिकारी और विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारी भी मौजूद रहे। सेवानिवृत्ति के बावजूद डा. भाटी अपने अनुभवों से खादी के विस्तार के लिए वाराणसी के खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग कार्यालय से जुड़े रहेंगे। उन्होंने बताया कि अभी कुछ महीने तक विभाग से जुड़े कार्याें के लिए वाराणसी में रहूंगा।
सात से 50 हजार रुपये तक की होगी शॉल
काशी में बनी पश्मीना शॉल की कीमत सात से लेकर 50 हजार तक की होगी। खादी ग्रामोद्योग के जय प्रकाश ने बताया की शॉल को बनाने में कुल 11 हजार की लागत आ रही है। लेकिन ग्राहकों को यह 30 प्रतिशत की छूट पर दी जाएगी। लद्दाख व जम्मू-कश्मीर में इसकी कीमत 20 हजार से डेढ़ लाख तक होती है।