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मुलायम सिंह के करीबी व सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पारसनाथ यादव का जौनपुर में निधन

सपा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री व मल्हनी विधायक पारसनाथ यादव का शुक्रवार को जौनपुर में 11 बजे निधन हो गया है। वह 71 वर्ष के थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 05:28 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 05:48 PM (IST)
मुलायम सिंह के करीबी व सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पारसनाथ यादव का जौनपुर में निधन
मुलायम सिंह के करीबी व सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पारसनाथ यादव का जौनपुर में निधन

जौनपुर, जेएनएन। सपा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री व मल्हनी विधायक पारसनाथ यादव का शुक्रवार को दिन में 11 बजे निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे। वह लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर सुनते ही उनके ओलंदगंज स्थित आवास पर विधायकों व सपा कार्यकर्ताओं का जमावड़ा शुरू हो गया। उनके निधन पर प्रगतिशील समाजवादी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने भी शोक व्यक्त किया। उनकी गिनती मुलायम सिंह यादव के विश्वस्त सहयोगियों में होती रही। उन्होंने देश की निचली पंचायत से सर्वोच्च सदन तक का राजनीतिक सफर तय किया। वह दो बार लोकसभा के सांसद रह चुके हैं तो सात बार से विधायक रहे। आजीवन समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे और इनकी चार बार उत्तर प्रदेश के कैबिनेट में मंत्री के रूप में भागीदारी भी रही।

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पारसनाथ यादव मूलत: मड़ियाहूं तहसील के बरसठी ब्लाक के कारो बनकट के रहने वाले थे। इनका जन्म 12 जनवरी 1949 को हुआ था। पिता श्रीराम यादव एक अच्छे किसान थे। इन्होंने इंटर तक की पढ़ाई भदोही से की। इनका विवाह 1974 में हीरावती देवी के साथ हुआ। इनके तीन पुत्र व एक पुत्री रही। शुरू से ही समाजवादी आंदोलनों में बढ़ चढ़कर प्रतिभाग करते रहे। इन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत पहली बार ग्राम प्रधान के तौर पर 1978 में की व दो बार गांव के प्रधान चुने गए। 1982 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य चुने गए। 1985 में बरसठी विधानसभा क्षेत्र से पहली बार दमकिपा से विधायक चुने गए।

उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भी बनाए गए : इसके बाद दूसरी बार 1989 में इसी सीट से वीपी सिंह, चंद्रशेखर व मुलायम की पार्टी जनता दल से विधायक चुने गए। 1989 में भाजपा व जनता दल के सहयोग से बनी सरकार में पहली बार उच्च शिक्षा राज्यमंत्री बनाए गए। 1991 में चंद्रशेखर सिंह के समाजवादी जनता पार्टी से यह तीसरी बार विधायक का चुनाव हार जाते है। 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन होने के बाद बाद 1993 में हुए मध्यावधि चुनाव में सपा-बसपा के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में यह खड़े हुए। इन्हें बरसठी से तीसरी बार जीत मिली। सपा-बसपा के उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री पशुधन बनाए गए। इसके बाद चौथी बार 1996 में सपा की तरफ से इनकी सीट बदलकर मडिय़ाहूं विधानसभा क्षेत्र कर दिया गया। नए हालात के बावजूद चौथी बार इनके सिर जीत का सेहरा सजा।

जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए 1998 में जनता ने इन्हें चुना : इसके बाद 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में इन्हें जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए सपा प्रत्याशी के रूप में 12 वीं लोकसभा के लिए जनता ने इन्हें चुनकर भेजा। 1998-99 में सांसद रहते हुए इन्हें कृषि मंत्रालय के सलाहकार समिति का सदस्य भी बनाया गया। इसके बाद 2002 में सपा से पांचवी बार मडिय़ाहूं विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुना गया। वर्ष 2003 में बनी मुलायम सरकार में इनको कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई। इसके बाद 2004 में सपा प्रत्याशी के तौर जौनपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े, इसमें यह दोबारा 14 वीं लोकसभा में चुनकर गए। इस चुनाव में इन्होंने देश के गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को हराया व सांसद बने। इनके बाद मड़ियाहूं सीट खाली होने पर वहां उपचुनाव हुआ, जहां सपा की श्रद्धा यादव को विजय मिली। 2012 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की तरफ से इनका विधानसभा सीट ही बदल दिया गया और वे छठवीं बार विधायक चुने गए। सपा की अखिलेश सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे। 2017 में मल्हनी से सातवीं बार विधायक चुने गए।


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