पंडित राजन मिश्र का अस्थि कलश 29 अप्रैल को काशी आएगा, कबीरचौरा स्थित आवास पर होगा अंतिम दर्शन
सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पद्मभूषण स्व. पंडित राजन मिश्रा का अस्थि कलश शुक्रवार सुबह लगभग नौ बजे उनके कबीरचौरा स्थित आवास पर लाया जाएगा। अस्थि कलश कुछ देर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। उसके बाद मां गंगा में विसर्जित करने के लिए ले जाया जाएगा।
वाराणसी, जेएनएन। सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पद्मभूषण स्व. पंडित राजन मिश्रा का अस्थि कलश शुक्रवार सुबह लगभग नौ बजे उनके कबीरचौरा स्थित आवास पर लाया जाएगा। अस्थि कलश कुछ देर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। उसके बाद मां गंगा में विसर्जित करने के लिए ले जाया जाएगा। दिल्ली से अस्थि कलश लेकर दिल्ली से उनके उनके छोटे भाई ख्यात शास्त्रीय गायक पद्मभूषण पंडित साजन मिश्रा जी और छोटे पुत्र रजनीश मिश्रा आएंगे। पं. राजन मिश्र का 25 अप्रैल को नई दिल्ली में कोरोना संक्रमण के कारण एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था। वहां ही उनकी अंत्येष्टि की गई थी। उनके निधन से बनारस के संगीत रसिक सदमे में तो थे ही उनके अंतिम दर्शन व अंतिम यात्रा में शामिल न हो पाने का भी दुख था।
400 साल की पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ाते हुए राजन और साजन मिश्रा को संगीत जगत में बहुत ही सम्मान से देखा जाता है। बनारस घराने में जन्मे पंडित राजन और पंडित साजन मिश्रा को संगीत की शिक्षा उनके दादा पंडित बड़े राम जी मिश्रा और पिता पंडित हनुमान मिश्रा ने ही दी।
साजन जी का विवाह पंडित बिरजू महाराज की पुत्री- 'कविता' से हुआ था और राजन जी का विवाह पंडित दामोदर मिश्र की पुत्री- 'बीना' से हुआ था। आज राजन जी के सुपुत्र - रितेश और रजनीश भी सफल गायक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। पंडितसाजन का पुत्र - 'स्वरांश' भी निरंतर संगीत साधना में रत है।
किशोरावस्था में 1978 में राजन-साजन जोड़ी ने श्रीलंका में अपना पहला विदेशी शो किया। आज इनकी आवाज सरहदों के पार- जर्मनी, फ्रांस, स्वीटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, जैसे कितने ही मुल्कों में गूंजती है। ख्याल शैली में अतुलनीय गायन के लिए लोकप्रिय इन भाइयों की जोड़ी को 1971 में प्रधानमंत्री द्वारा संस्कृत अवार्ड मिला, 1994-95 में गंधर्व सम्मान और 2007 में पदम् भूषण से नवाज़ा गया। इनके 20 से अधिक एल्बम संगीत प्रेमियों के लिए उपलब्ध हैं। वैसे तो मशहूर राजन और साजन मिश्रा ने कभी फिल्मों के संगीत निर्देशन के सम्बन्ध में कभी अपनी रूचि नहीं दिखाई, किन्तु अभी लखनऊ के निर्देशक राकेश मंजुल की फिल्म- 'तेरा देश, मेरा देश' के लिए संगीत निर्देशन की सहमति दी है।