Pandit Deendayal Upadhyaya Birth Anniversary : शव देख रोने लगे गुरुबख्श कपाही, बोले ये तो अपने दीनदयाल हैं
एकात्म मानववाद व अंत्योदय के प्रणेता भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक के पश्चिमी छोर पर एक खंभे के पास मिला था। आरएसएस के गुरुबख्श कपाही ने उनके शव की शिनाख्त की थी।
चंदौली, जेएनएन। एकात्म मानववाद व अंत्योदय के प्रणेता भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक के पश्चिमी छोर पर एक खंभे के पास मिला था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर संघ चालक रहे गुरुबख्श कपाही ने उनके शव की शिनाख्त की थी। उस समय रेलवे के कर्मचारी वृंद्धावन चंद्र दत्ता ने जब उनके झोले में खाकी हाफ पैंट व सफेद शर्ट देखी, उन्होंने कहा कि यह तो आरएसएस वाले हैं। एक कर्मचारी को गुरुबख्श कपाही को लाने के लिए भेजा। गुरुबख्श कपाही जब वहां पहुंचे तो शव देख रोने लगे। उन्होंने ही बताया कि ये तो अपने दीनदयाल हैं।
गुरुबख्श के पुत्र कपाही ने कहा कि पिताजी उनके बारे में अक्सर बताते रहते थे। दान, दया, धर्म और कर्म के प्रति वे हमेशा सजग रहते थे। हर समय यही कहते गरीबों का स्तर कैसे ऊपर उठाया जाए। उनकी इन्हीं सोच ने उन्हें अमर कर दिया।
भाजपा की सरकार आई तो उन्होंने उनकी स्मृतियों को संभाला और 156 साल पुराने इतिहास को बदल दिया। पूर्व मध्य रेलवे के मुगलसराय मंडल, मुगलसराय जंक्शन व नगर का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय कर दिया गया। इस क्षेत्र की विधायक साधना सिंह ने मुगलसराय विधानसभा का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय करने की पहल शुरू कर दी है।
शव मिले स्थान को बनाया जाएगा भव्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव जंक्शन के यार्ड में खंभा नंबर 1276 के पास मिला था। सांसद डा. महेंद्रनाथ पांडेय की पहल पर वहां पर खंभा लगा दिया गया। जहां पर कार्यकर्ता कार्यक्रम करते हैं लेकिन अभी उस स्थान को और भव्य बनाने की योजना है।
अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में किया था घटना का उल्लेख
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में उनके निधन का उल्लेख किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि संघ के नगर संघ चालक गुरुबख्श कपाही ने ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय के शव की शिनाख्त की थी। इस घटना का जिक्र करते हुए कपाही जी के पुत्र सुरेश कपाही ने बताया कि उनके पिताजी अक्सर उक्त घटना का जिक्र किया करते थे।