सोनांचल में पान की खेती बढ़ाएगी बनारस में पान का व्यापार
सोनभद्र में किसानों को पारंपरिक खेती के साथ ही व्यावसायिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित क रने के लिए कई योजनाएं शासन द्वारा संचालित की जा रही हैं।
सोनभद्र (जेएनएन): किसानों को पारंपरिक खेती के साथ ही व्यावसायिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से शासनस्तर पर कई योजनाएं संचालित की जा रही है। इस कड़ी में सोनभद्र का जलवायु व भौगोलिक वातावरण पान की खेती के अनुकूल होने से शासनस्तर पर जिले के अन्नदाताओं के लिए नयी योजना लाई गई है। जंगल व पहाड़ से आच्छादित जनपद सोनभद्र की जलवायु व भौगोलिक स्थित पान की खेती के अनुकूल है। इसे देखते हुए शासन द्वारा प्रदेश के 21 जिलों में पान की खेती को प्रोत्साहित करने की योजना तैयार की गई है।
इसमें देश के अति पिछड़े जिले में शामिल सोनभद्र भी है। उद्यान व खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय लखनऊ द्वारा जारी निर्देश के तहत अब किसान 500 वर्ग मीटर भू-भाग पर भी पान की खेती कर सकते हैं। किसानों का मानना है कि इससे लघु व सीमांत किसानों को भी व्यावसायिक खेती से जोड़ने में मदद मिलेगी। शासन द्वारा इतने भू-भाग पर खेती की कुल लागत 50453 रुपये का आकलन किया गया है। इसमें से 25226 रुपये का अनुदान दिया जाएगा। उन्नत खेती के लिए उद्यान विभाग द्वारा बकायदा किसानों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा। चूंकि सोनभद्र बनारस का पड़ोसी जिला है ऐसे में यहां पान की खेती होने से बनारस में भी पान के व्यापार बढ़ेगा। सोनभद्र में होती है पान की खेती
सोनभद्र में पान की खेती पहले से ही हो रही है। कुसुम्हा, राजापुर, म्योरपुर आदि क्षेत्रों के किसान पान की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं। शासन की नई नीति से अन्य क्षेत्रों में भी पान की खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे अधिक से अधिक किसान अपनी आíथक स्थिति सुदृढ़ कर सकेंगे। जिला उद्यान अधिकारी सुनील शर्मा ने बताया कि योजना के तहत अब तक दस किसान अपना पंजीयन करा चुके हैं। शासनादेश के तहत इस सत्र में 20 किसानों को पान की खेती से जोड़ना है। निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने की विभाग को पूरी उम्मीद है। शासन का अनुमान है कि एक बार पान की खेती करने पर पहली बार पत्तों की तोड़ाई पर किसानों को 25 हजार रुपये तक का मुनाफा होगा। दूसरी बार पत्तों की तोड़ाई पर प्राप्त होने वाला लाभ बोनस साबित होगा। इससे किसानों की आíथक स्थिति में निश्चित ही सुधार की गुंजाइश रहेगी। शासनादेश के तहत प्रदेश के 21 जिलों के 632 किसानों को जोड़ा जाएगा। इसके परिणाम को देखते हुए भविष्य में जिलों व किसानों की संख्या को बढ़ायी जायेगी। इसके लिए उद्यान विभाग द्वारा कवायद शुरू कर दी गई है।