पद्मविभूषण पं छन्नूलाल मिश्रा की बेटी संगीता की मौत मामले में प्रशासन ने बैठाई जांच तो मैनेज के लिए आने लगा फोन
कोतवाली थाने में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर देने के जब जिला प्रशासन की ओर से तीन सदस्यीय जांच कमेटी बैठाई उसके बाद मेडविन अस्पताल प्रबंधन की ओर से फोन करके मैनेज करने के दबाव बनाया जा रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। पद्मविभूषण पं छन्नूलाल मिश्रा की बेटी संगीता मिश्रा के मौत के मामले में अब नया मोड़ सामने आया है। पंडित जी की छोटी बेटी डॉ. नम्रता मिश्रा ने बताया कि सोमवार को कोतवाली थाने में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर देने के जब जिला प्रशासन की ओर से तीन सदस्यीय जांच कमेटी बैठाई उसके बाद मेडविन अस्पताल प्रबंधन की ओर से फोन करके मैनेज करने के दबाव बनाया जा रहा है।
मंगलवार को उन्होंने बताया कि अस्पताल से डॉ. मनमोहन का फोन आया वह कह रहे थे कि आपका परिवार मेरा भी परिवार है। हमने आपके दीदी की सेवा की है। उनके साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने कुछ गलत नहीं किया बल्कि उनकी जान बचाने की हर संभव कोशिश की गई, लेकिन हम सफल नहीं हुए। आपके द्वारा अस्पताल प्रबंधन पर लगाए गए आरोप ठीक नहीं है। एक बार आप विचार करिएगा।
इस पर डॉ. नम्रता मिश्रा ने डॉ. मनमोहन से कहा कि अस्पताल प्रबंधन से हमारी एक ही मांग है कि जिस दिन से हमारी दीदी अस्पताल में भर्ती हैं उस दिन से लेकर परिवार को शव सौंपे जाने तक का अनकट सीसीटीवी फुटेज और इलाज में कौन-कौन सी दवा का इस्तेमाल हुआ, कौन-कौन सी जांच करवाई गई। यह हमें उपलब्ध करा दें। यदि आपने बेहतर इलाज किया है तो अस्पताल प्रबंधन को इन चीजों को उपलब्ध कराने में क्यों परेशानी हो रही है। इससे यह साफ है कि अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती है। जिस कारण मेरे दीदी की मौत हुई है।
अस्पताल के आईसीयू में लगा सीसीटीवी है खराब
मैदागिन स्थित मेडविन अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक अस्पताल के आईसीयू में लगा सीसीटीवी कैमरा गत तीन माह से खराब है। कई बार अस्पताल के कर्मचारियों ने कैमरा बनवाने के लिए डॉ. मनमोहन से कहा लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक डीएम कौशलराज शर्मा के हस्तक्षेप के बाद जब से परिवार के लोगों ने वीडियो काल पर बात किया तब से संगीता मिश्रा का इलाज एक आम मरीज की तरह किया जाने लगा। जबकि उससे पहले उन्हें विशेष तरह की सुविधा दी जाती थी। भर्ती होने के बाद अस्पताल की नर्स उन्हें अपने हाथों से भोजन कराती थीं लेकिन वीडियो कॉल में बात करने के बाद से नर्सों ने उनको अपने हाथ से भोजन खिलाना बंद कर दिया।
अस्पताल प्रबंधन की ओर से हुए व्यवहार परिवर्तन की जानकारी संगीता मिश्रा ने अपनी बेटी को दिया था। उन्होंने अपनी बेटी से कहा था कि अस्पताल के डॉक्टर बहुत कष्ट दे रहे हैं। जब परिवार के लोगों ने इस सम्बंध में अस्पताल प्रबंधन से पूछा तो वह टाल मटोल करने लगे। उस वक्त डॉक्टरों ने कहा था कि तीन दिन में आपको अच्छी खबर सुनाएंगे। उसके बाद आप अपने मरीज को डिस्चार्ज करवाकर घर ले जा सकेंगे। ठीक तीन दिन बाद 29 अप्रैल की भोर में 2:55 बजे अस्पताल से फोन पर बताया गया कि सॉरी हम आपके दीदी को बचा नहीं सके।