Move to Jagran APP

पद्म पुरस्‍कार 2022 : पद्म विभूषण राधेश्याम खेमका ने बीएचयू से की थी पढ़ाई, वाराणसी में ही हुआ था निधन

गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष और सनातन धर्म की प्रसिद्ध पत्रिका कल्याण के संपादक राधेश्याम खेमका को पद्म विभूषण देने की घाेषणा मंगलवार की गई। खेमका वाराणसी की कई प्रसिद्ध संस्थाओं से जुड़े थे। राधेश्याम खेमका की पढ़ाई बीएचयू से हुई थी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 08:37 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 09:46 PM (IST)
पद्म पुरस्‍कार 2022 : पद्म विभूषण राधेश्याम खेमका ने बीएचयू से की थी पढ़ाई, वाराणसी में ही हुआ था निधन
गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष और सनातन धर्म की प्रसिद्ध पत्रिका कल्याण के संपादक राधेश्याम खेमका

वाराणसी, जागरण संवाददाता। गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष और सनातन धर्म की प्रसिद्ध पत्रिका कल्याण के संपादक राधेश्याम खेमका को पद्म विभूषण देने की घाेषणा मंगलवार की गई। मृदुल वाणी के लिए प्रसिद्ध राधेश्याम खेमका के पिता सीताराम खेमका मूलतः बिहार के मुंगेर जिले से वाराणसी आए थे। दो पीढ़ियों से खेमका काशी निवासी रहे और धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ और वर्तमान पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद, कथा व्यास रामचन्द्र डोंगरे जैसे संतों से विशेष संपर्क और सानिध्य रहा। बीएचयू से उन्‍होंने पढ़ाई की थी।

loksabha election banner

अप्रैल 2021 में केदारघाट स्थित अपने आवास पर उन्‍होंने अंतिम सांस ली। वे 87 वर्ष के थे। राधेश्याम खेमका ने 40 वर्षों से गीता प्रेस में अपनी भूमिका का निर्वाहन करते हुए अनेक धार्मिक पत्रिकाओं का संपादन किया। उनमें कल्याण प्रमुख है। खेमका वाराणसी की प्रसिद्ध संस्थाओं मारवाड़ी सेवा संघ, मुमुक्षु भवन, श्रीराम लक्ष्मी मारवाड़ी अस्पताल गोदौलिया, बिड़ला अस्पताल मछोदरी, काशी गोशाला ट्रस्ट से जुड़े रहे और वाराणसी कागज व्यवसाय से भी जुड़े रहे।

राधेश्याम खेमका ने सबसे पहले वर्ष 1982 में नवंबर व दिसंबर के कल्याण अंक का संपादन किया था। उसके बाद वर्ष मार्च 1983 से वह लगातार संपादन का कार्य संभालते रहे। 86 वर्ष की उम्र में तबियत खराब होने के बावजूद उन्होंने अप्रैल 2021 तक के अंकों का पूरे उत्साह के साथ संपादन किया है। उनके संपादन में कल्याण के 38 वार्षिक विशेषांक, 460 सम्पादित अंक प्रकाशित हुए। इस दौरान कल्याण की 9 करोड़ 54 लाख 46 हजार प्रतियां प्रकाशित हुईं। कल्याण में पुराणों एवं लुप्त हो रहे संस्कारों व कर्मकांड की पुस्तकों का प्रामाणिक संस्करण भी उनके राधेश्याम खेमका के संपादन में ही प्रकाशित हुआ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.