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अब पद्म नगरी बनने की ओर वाराणसी, यहां के विश्वविद्यालयों में भी कई पद्मविभूतियां

Padma Awards 2022 बनारस संगीत घराने का तीर्थ कही जाने वाली कबीरचौरा गली को ही लें तो उसमें सात विभूतियां इस नागरिक सम्मान से नवाजी जा चुकी हैैं। लिहाजा आम बोलचाल में इसे पद्म गली का नाम दिया जाता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 01:05 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 01:05 PM (IST)
अब पद्म नगरी बनने की ओर वाराणसी, यहां के विश्वविद्यालयों में भी कई पद्मविभूतियां
बनारस संगीत घराने का तीर्थ कही जाने वाली कबीरचौरा गली

वाराणसी, जागरण संवाददाता। धर्म- अध्यात्म व कला-संस्कृति की नगरी विशिष्टताओं के लिए जानी-पहचानी जाती है। कोई विधा हो या सम्मान, काशी सूची में शीर्ष पर आती है। कुछ ऐसा ही है पद्म पुरस्कारों के साथ, और कहीं एक-दो, चार-छह नाम आते होंगे, यह शहर पद्म अवार्डियों की खान कही जाती है। इसकी कडिय़ां इस बार पांच उपलब्धियों से और मजबूत हो गईं। राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत पद्मविभूषण समेत तीनों श्रेणियों में इस शहर की अलग-अलग क्षेत्र की पांच विभूतियों को पद्म अवार्ड के लिए चुना गया है। श्रीकाशी विद्वत परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी को पद्मभूषण और स्वामी शिवानंद को योग के लिए, प्रो. कमलाकर त्रिपाठी को चिकित्सा व पं. शिवनाथ मिश्रा को संगीत के लिए पद्मश्री अवार्ड की घोषणा की गई है।

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खास यह कि बनारस संगीत घराने का तीर्थ कही जाने वाली कबीरचौरा गली को ही लें तो उसमें सात विभूतियां इस नागरिक सम्मान से नवाजी जा चुकी हैैं। लिहाजा आम बोलचाल में इसे पद्म गली का नाम दिया जाता है। खास यह कि संगीत की तीनों विधाओं गायन, वादन व नृत्य के नाम यह मान है। इन कलाकारों ने साधना के जरिए ऊंचाई हासिल की तो देश दुनिया में अपनी-अपनी विधाओं को पहचान दिलाई। इनमें झनक-झनक पायल बाजे, मेरी सूरत तेरी आंखें, बसंत बहार व शोले जैसी फिल्मों में अपनी कला का लोहा मनवाने वाले संगीतकार और ख्यात तबला वादक पं. सामता प्रसाद मिश्र को वर्ष 1972 में पद्मश्री और सन् 1991 में पद्मभूषण प्रदान किया गया। तबले को मान दिलाने वाले और अपनी सिद्धहस्तता और वादन के खास अंदाज के लिए जाने-पहचाने जाने वाले पं. किशन महाराज को 1973 में पद्मश्री और 2002 में पद्मविभूषण दिया गया। शास्त्रीय संगीत को सुरों से ऊंचाई देने वाली ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी को 1989 में पद्मभूषण और फिर 2016 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। बालीवुड में अनेक फिल्म अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण देने के पूरी शास्त्रीयता के साथ सतरंगी पर्दे पर भी अपनी कला दिखा चुकीं पद्मश्री सितारा देवी की जड़ें भी कबीरचौरा की गलियों में ही हैैं। उनके भतीजे पद्मश्री गोपी कृष्ण एक्टर, डांसर व कोरियोग्राफर के रूप में ख्यात हैैं। ख्याल गायकी के लिए देश- दुनिया में ख्यात शास्त्रीय गायक पं. राजन और पं. साजन मिश्र पद्मभूषण से नवाजे जा चुके हैैं। पं. छन्नूलाल मिश्रा अभी दो साल पहले पद्मविभूषण पा चुके हैैं।

विश्वविद्यालय पद्मविभूतियों की खान

एक गली ही नहीं यहां के विश्वविद्यालय भी पद्म विभूतियों की खान हैैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पद्म अवार्डियों की सूची दहाई में आती है तो काशी हिंदू विश्वविद्यालय में चार भारत रत्न के अलावा पद्म अवार्डी छात्र-शिक्षकों की संख्या 25 के पार चली जाती है।


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