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वाराणसी में धान क्रय केंद्र आनलाइन टोकन व्यवस्था पूरी तरह फेल, प्राइवेट में बेचने रहे किसान

वाराणसी में लगभग तीस धान क्रय केंद्रों में से कुछ को छोड़ दें तो लगभग अस्सी फीसद में धान की खरीद लगभग बंद है। कुछ केंद्र पर धान की खरीद तो हो रही है पर किसान के हाथ में टोकन नहीं आ पा रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 10:44 AM (IST)Updated: Thu, 06 Jan 2022 10:44 AM (IST)
वाराणसी में धान क्रय केंद्र आनलाइन टोकन व्यवस्था पूरी तरह फेल, प्राइवेट में बेचने रहे किसान
जिले में लगभग अस्सी फीसद में धान की खरीद लगभग बंद है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। जिले में लगभग तीस धान क्रय केंद्रों में से कुछ को छोड़ दें तो लगभग अस्सी फीसद में धान की खरीद लगभग बंद है। कुछ केंद्र पर धान की खरीद तो हो रही है पर किसान के हाथ में टोकन नहीं आ पा रहा है। आनलाइन व्यवस्था पूरी तरह से फेल है। किसानों का आरोप है कि सरकार धान खरीदना नहीं चाहती है इसलिए आनलाइन टोकन व्यवस्था को प्रभावी की है। आनलाइन टोकन पूरे दिन कोशिश के बाद भी जनरेट नहीं हो रहा है।

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जागरण की टीम दो दिन पूर्व जिले के चुनिंदा कुछ धान क्रय केंद्रों पर पहुंची थी तो किसानों ने खुलकर समस्या रखी थी वहीं क्रय केंद्र प्रभारियों ने शासन के नए आदेश का हवाला देकर अपनी विवशता जाहिर की थी। केंद्र पर तैनात अधिकारियों का कहना था कि शासन का आदेश है कि आनलाइन टोकन पर धान की खरीद की जाए। ऐसी स्थिति में धान कैसे लें। जागरण की ओर से सार्वजनिक किए गए वाट्सएप नम्बर पर किसानों ने मंगलवार की तरह ही बुधवार को भी अपनी परेशानियां साझा की। किसानों ने कहा कि बहुतायत धान क्रय केंद्र बंद हैं। धान की अधिकता के कारण रखने की जगह नहीं है। क्रय केंद्र से धान की उठान नहीं होने के कारण प्रभारी हाथ जोड़कर खड़े हो जा रहे हैं और कह रहे कि हम धान नहीं ले सकते हैं क्योंकि गोदाम फुल है। टोकन के बाद भी किसान घर लौट रहे हैं। चंदौली के फेसुड़ा ग्राम के श्रीनिवास सिंह ने गुरुवार को जागरण की ओर से जारी वाटसएप नम्बर पर अपनी समस्या कुछ यूं लिखकर साझा की है। कहा है कि तीन जनवरी को टोकन निकला था। बाद में उसे निरस्त कर दिया गया। अब टोकन नहीं मिल रहा है।

अब क्या करें। दूसरी तरफ सदर ब्लाक के मंगरही क्रय केंद्र के बारे में एक किसान ने आरोप लगाया है कि 125 क्विंटल धान की खरीद हुई। पल्लेदारी भी ले ली। अभी तक अंगुठा नहीं लगवाया है। अब केंद्र बंद हो गया है। प्रभारी लिखित भी दिए। अब कह रहे हैं कि आप अपना धान ले जाइए। चकिया निवासी छांगुर सिंह का कहना है कि सुबह दस बजे कभी आनलाइन साइट नहीं खुलता है। सुबह 10.5 पर साइट खुलता है तो प्रत्येक क्रय केंद्र पर खरीद की मात्रा शून्य दिखाने लगता है। जबकि धान बाहर खुले में रखे हुए हैं। यह समस्या सिर्फ मेरी नहीं है। 95 फीसद लोगों की है। दूसरी तरफ इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे हुए हैं। सभी शासन का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं। किसानाें का कहना है कि मौसम को देखते हुए बहुत दिन तक धान रखना मुश्किल है। इसलिए बाजार में बेचना होगा। सैकड़ों लोग सरकारी व्यवस्था से नाराज होकर बाजार में बेच भी रहे हैं।


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