जौनपुर में छह माह से तैयार है आक्सीजन प्लांट, इंस्टाल नहीं होने से मरीज दम तोड़ने पर मजबूर
मरीजों के लिए लाइफ लाइन आक्सीजन के लिए चहुंओर त्राहि-त्राहि मची हुई है। सड़क मार्ग रेल मार्ग से लेकर हवाई मार्ग तक से आक्सीजन मंगाकर तिल-तिल कर दम तोड़ रहे मरीजों को बचाने का भगीरथ प्रयास किया जा रहा है।
जौनपुर, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में तबाही मचा दी है। मरीजों के लिए लाइफ लाइन आक्सीजन के लिए चहुंओर त्राहि-त्राहि मची हुई है। सड़क मार्ग, रेल मार्ग से लेकर हवाई मार्ग तक से आक्सीजन मंगाकर तिल-तिल कर दम तोड़ रहे मरीजों को बचाने का भगीरथ प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर जिम्मेदारों की लापरवाही कहें या अनदेखी कि जिला चिकित्सालय में छह माह पूर्व बनकर तैयार आक्सीजन प्लांट इंस्टाल नहीं किया जा रहा है।
जिले में एक निजी चिकित्सालय में आक्सीजन जनरेट करने के एक मिनी प्लांट के अलावा कोई प्लांट नहीं है। वाराणसी, चंदौली, प्रयागराज आदि जनपदों से हर दिन आवश्यकता के अनुसार आपूर्ति की जाती है। कोरोना महामारी काल में अत्यधिक मांग बढऩे के कारण जरूरत का पचास प्रतिशत भी उपलब्धता नहीं हो पा रही है। कोविड बने सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में सभी संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद आक्सीजन के अभाव में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। स्थिति यह है कि जनपद के कई उच्चाधिकारियों को सारे कार्य छोड़कर आक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए लगा दिया गया है। अधिक पैसा देने के बाद भी पूर्ति नहीं हो पा रही है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार शासन ने लाइफ लाइन बने आक्सीजन से जिला अस्पताल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 1.25 करोड़ रुपये की लागत से प्लांट स्वीकृति दी थी। इस प्लांट से औसतन 50 से 60 जंबो सिलेंडर भरा जा सकता है। कार्यदाई संस्था ने छह माह पूर्व काम पूरा कर दिया, लेकिन अभी तक इस प्लांट को चालू नहीं किया जा सका है। अब आक्सीजन के लिए हाय-तौबा मचने के बाद भी किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। जनपद में जनप्रतिनिधियों, सत्तापक्ष के कद्दावर नेताओं की लंबी फेहरिस्त के बाद यह स्थिति है। विपक्ष के लोग भी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
बोले जिम्मेदार
आक्सीजन प्लांट के चालू न होने के बारे में पूछने पर प्रभारी सीएमएस डाक्टर अभिमन्यु ने किसी प्रकार की जानकारी से मना कर दिया। वर्तमान में क्वारंटाइन हुए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर अनिल शर्मा ने कहा कि ठेकेदार ने प्लांट को तैयार कर दिया है। इंस्टाल करने के लिए कई बार शासन से संपर्क किया गया, लेकिन इंजीनियरों के व्यस्त होने का हवाला देते हुए चालू नहीं किया जा रहा है। प्लांट की लागत के बारे में उन्होंने अनभिज्ञता जताई।