Fastag में राहत मिलने के साथ ही Overload ट्रकों की चांदी, जांच के लिए अधिकारियों का वाहन का रोना
फास्टैग लगाने के लिए सरकार ने 15 फरवरी तक राहत दी तो ट्रक मालिकों की चांदी हो गई। डाफी टोला प्लाजा से ओवरलोड ट्रकों की संख्या दोगुनी हो गई। यानि रोज 1500 से 2000 ओवरलोड ट्रक गुजर रहे हैं जबकि सख्ती के दौरान ओवरलोड ट्रकों की संख्या बमुश्किल 600 थी।
वाराणसी, जेएनएन। फास्टैग लगाने के लिए सरकार ने 15 फरवरी तक राहत दी तो ट्रक मालिकों की चांदी हो गई। डाफी टोला प्लाजा से ओवरलोड ट्रकों की संख्या दोगुनी हो गई। यानि रोज 1500 से 2000 ओवरलोड ट्रक गुजर रहे हैं जबकि सख्ती के दौरान ओवरलोड ट्रकों की संख्या बमुश्किल 600 थी। वहीं, परिवहन विभाग ने अपना अभियान भी बंद कर दिया। अब उन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। हकीकत यह है कि कोई भी परिवहन अधिकारी ओवरलोड ट्रकों को चेकिंग तक नहीं करते हैं।
कारोबार की दृष्टि से पूर्वांचल का केंद्र बिंदु कहे जाने वाले बनारस में आज कोई एआरटीओ नहीं है जबकि यहां तीन एआरटीओ का पद है। यहां पर तैनाती के लिए पंचम तल से पैरवी होती थी। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने प्रमुख सचिव परिवहन राजेश कुमार सिंह को पत्र लिखा तो उन्होंने दो यात्री कर अधिकारी की पिछले माह तत्काल तैनाती कर दी लेकिन एआरटीओ कब आएंगे आज तक मालूम नहीं है। जनपद में एआरटीओ की तैनाती नहीं होने के चलते बनारस में ओवरलोड ट्रकों का कोई रोकन-टाेकने वाला नहीं है।
तीन यात्रीकर अधिकारी में से एक के पास चेकिंग करने के लिए वाहन है, अन्य अधिकारी वाहन नहीं होने का हवाला देते हुए क्षेत्र में चेकिंग करने नहीं जाते हैं। ओवरलोड ट्रकें हाइवे के साथ शहर के अंदर धमाचौकड़ी मचा रही हैं। परिवहन आयुक्त धीरज साहू ने ओवरलोड ट्रकों को रोकने के लिए मंडल के प्रवर्तन अधिकारियों की दिन-रात ड्यूटी डाफी टोल प्लाजा पर लगाई। इसका असर जरूर कुछ दिनों तक था मगर अभियान खत्म होने के साथ फिर ओवरलोड ट्रकें सड़क पर दौड़ने लगी।
इस बारे में संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन यूबी सिंह का कहना है कि एआरटीओ नहीं होने से ओवरलोड ट्रकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है। एआरटीओ की तैनाती के लिए शासन से पत्राचार किया गया है। फिर ओवरलोड ट्रकों के खिलाफ टीम गठित करके अभियान चलाया जाएगा।