बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल, ट्रामा सेंटर, दंत चिकित्सा संकाय में ओपीडी आज से, आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन ही मान्य
कोरोना के कारण मार्च से ही बंद बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल ट्रामा सेंटर दंत चिकित्सा संकाय में 10 अगस्त को ओपीडी शुरू होने जा रही है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना के कारण मार्च से ही बंद बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल, ट्रामा सेंटर, दंत चिकित्सा संकाय में 10 अगस्त को ओपीडी शुरू होने जा रही है। एक दिन में एक विभाग में 50 मरीज ही देखे जाएंगे। इसमें 25 मरीजों का आनलाइन रजिस्ट्रेशन एवं 25 की बुकिंग टेली मेडिसिन की ओर से होनी जरूरी होगी। इसी में बीएचयू के स्टाफ भी शामिल हैं। तय किया गया है कि बीएचयू के स्टाफ (शैक्षणिक/गैर शैक्षणिक), छात्र एवं पेंशनभोगी को भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। मरीज एसएसएच आइएमएस बीएचयू के एप पर बुकिंग करा सकते हैं। इस एप को तैयार किया है एचडीएफसी बैंक के सर्किल हेड मनीष टंडन के नेतृत्व में शाखा प्रबंधक अभिषेक सिंह व उनकी टीम ने। बताया जा रहा है कि ऑर्थों की ओपीडी की बुकिंग रविवार दोपहर तक ही भर गई थी।
चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू में पहली बार नियुक्त होंगे सीनियर प्रोफेसर
काशी हिंदू विश्व विद्यालय में पहली बार कोई सीनियर प्रोफेसर नियुक्त होने जा रहे हैं। यह पद चिकित्सा विज्ञान संस्थान के नए निदेशक को मिलेगा, जिसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर साक्षात्कार 11 अगस्त को होने जा रहा है। यह नियुक्त संस्थान को एम्स नई दिल्ली के जैसे दर्जा देने की कड़ी में मानी जा रही है। इनका एकेडमिक लेवल 15 होगा, जबकि अभी तक यहां के प्रोफेसरों का एकेडमिक लेवल 14 है। यही नहीं निदेशक का वेतनमान भी बहुत हो जाएगा। ऐसा होने के बाद बीएचयू अस्पतालों में बेहतर एवं निशुल्क उपचार की राह आसन होगी।
एम्स के जैसी सुविधा की आसान हुई प्रक्रिया
वहीं मोदी सरकार भी लगातार मरीजों के प्रति संवेदना दिखाते हुए निशुल्क उपचार देने की पहल करती रही, लेकिन यूजीसी अपने नियम पर कायम थी। वैसे इससे कुछ साल पहले भी इस तरह के प्रयास किए गए थे, लेकिन यहीं के कुछ अधिकारियों के अड़ंगा के कारण मामला ठंड बस्ते में चला गया था। इसी बीच प्रो. राकेश भटनागर बीएचयू के नए कुलपति नियुक्त हुए, जिससे इस नेक कार्य का रास्ता साफ हो गया और बात आगे बढ़ पाई।
नीति आयोग की देखरेख में चल रही प्रक्रिया
बीच का रास्ता निकला और तय हुआ कि फंड स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय देगा, लेकिन इसके खर्च एवं ब्योरा की निगरानी भी वही रखेगा। इसे लेकर करीब दो साल पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय के बीच समझौता भी हो गया। यह सारी प्रक्रिया नीति आयोग की देखरेख में चल रही है। हालांकि बीच में करीब डेढ़ साल से यह मामला धीमा हो गया था। अब निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया के साथ ही इसे लेकर फिर से हलचल बढ़ गई है।