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देश में चल रहे शोधकार्यों और युवा वैज्ञानिकों के कौशल की चर्चा विश्वस्तर पर हो, बीएचयू में परिचर्चा का आयोजन

महिला महाविद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित भौतिक शास्त्र विभाग का हमेशा से यह मानना रहा है कि यदि हमारे देश में चल रहे शोधकार्यों एवं युवा वैज्ञानिकों के कौशल की चर्चा विश्वस्तर पर हो तो छात्र/छात्राओं को स्नातक से ही शोध-प्रक्रिया से अवगत कराना होगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 04:48 PM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 04:48 PM (IST)
देश में चल रहे शोधकार्यों और युवा वैज्ञानिकों के कौशल की चर्चा विश्वस्तर पर हो, बीएचयू में परिचर्चा का आयोजन
बीएचयू में शोधकार्यों एवं युवा वैज्ञानिकों के कौशल की चर्चा हुई

जागरण संवाददाता, वाराणसी। महिला महाविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित भौतिक शास्त्र विभाग का हमेशा से यह मानना रहा है कि यदि हमारे देश में चल रहे शोधकार्यों एवं युवा वैज्ञानिकों के कौशल की चर्चा विश्वस्तर पर हो तो छात्र/छात्राओं को स्नातक से ही शोध-प्रक्रिया से अवगत कराना होगा। अन्यथा ज्यादातर छात्रों का यह विचार नहीं बदल पाएंगे कि शोध मात्र एक डिग्री है और फिर ऐसे छात्रों से उच्च स्तर का शोध करा पाना एक कठिन कार्य होगा। इसी प्रयास में छात्राओं का उत्साह शोध के क्षेत्र में बढ़ाने व उनके भीतर एक वैज्ञानिक सोच का संचार करने के लिए विभाग में हर सप्ताह एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसके तहत रविवार को जो छात्र/छात्राएं शोध के क्षेत्र में काम कर रहे हैं या इसका हिस्सा रह चुके हैं उन्हें अपने कार्यों को प्रस्तुत करने का एवं अपने कनिष्ठ साथियों का मार्गदर्शन करने का अवसर प्रदान किया गया।

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कार्यक्रम के विषय की आयोजक प्रो. नीलम श्रीवास्तव ने बताया कि यहां की छात्रा रह चुकी अक्षिता सिंह ने अपने शोधकार्य के बारे में जानकारी दी। अक्षिता सिंह सेंटर ऑफ नैनोटेक्नॉलजी, आइआइटी रुड़की में शोध छात्रा हैं। वह प्रो. विमल चंद्र श्रीवास्तव के निर्देशन में शोध कार्य कर रही हैं। अपने भाषण के माध्यम से उन्होंने कनिष्ठ साथियों को शोध कार्यों में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने “नैनो-साइंस और नैनो-टेक्नालजी” व क्वान्टम डोट्स के विषय में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि नैनो-साइन्स एक बहुविषयक क्षेत्र है, जिसके बहुत से अनुप्रयोग होते हैं। साथ ही उन्होंने क्वान्टम डोट्स की विशेषताओं का भी उल्लेख करते हुए बताया कि इनको कृत्रिम परमाणु भी कहा जाता है और इनके उपयोग नए उपकरणों को बनाने में किया जाता है और ऐसे उपकरणों कि कार्य क्षमता साधारण तरीके से बनाए गए उपकरणों से बहुत अधिक होती है। इनका उपयोग क़ैसर जैसी बीमारी की दवाओं में भी होता है। नैनो रूप में दिये जाने वाली दवाएं अधिक और जल्दी प्रभाव दिखाती हैं। कार्यक्रम का संचालन विज्ञान वर्ग स्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा अनुष्का राय ने किया।


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