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आश्विन अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने अपने-अपने पितरों को किया पिण्डदान अर्पण

सनातन धर्म में आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या तक का 15 दिन पुरखों के लिए समर्पित है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 05:02 PM (IST)
आश्विन अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने अपने-अपने पितरों को किया पिण्डदान अर्पण
आश्विन अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने अपने-अपने पितरों को किया पिण्डदान अर्पण

वाराणसी, जेएनएन। सनातन धर्म में आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या तक का 15 दिन पुरखों के लिए समर्पित है। जिन लोगों को अपने पितरों की तिथि ज्ञात है वह तो अपने पितरों का तर्पण तिथि विशेष पर करते हैं। लेकिन आखिरी दिन अमावस्या को ऐसे लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं जिनको अपने पितरों की तिथि विशेष ज्ञात नहीं है। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार अमावस्या तिथि (आश्विन अमावस्या) 16 सितंबर को सायं 6.58 मिनट पर लग चुकी है। जो 17 सितंबर को दिन में 4.56 मिनट तक रहेगी। इस तिथि विशेष में स्नान दान के साथ ही अज्ञात तिथि वालों का इस दिन श्राद्ध कर्म किया जाएगा।

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वहीं भगवान विष्णु के प्रसन्नार्थ ब्राम्हणों को भोजनादि कराया जाएगा। इसके बाद सायं काल में पितरों का विसर्जन होगा। इसके बाद भाद्र पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलाने वाले महालय तिथि की समाप्त होगी। इस तिथि पर जिन लोगों को अपने पितरों की तिथि ज्ञात नहीं है या किसी कारणवश तिथि विशेष पर श्राद्ध नहीं कर पाए हैं वह इस तिथि पर अपने पितरों का तर्पण कर सकते हैं। पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है। सायं काल के बाद रात्रि में पितरों का विसर्जन कर उन्हें प्रणाम करना चाहिए। इससे पितरगण प्रसन्न होकर परिवार को सभी तरह के सुखादि का आशीर्वाद देकर पितृलोक के लिए प्रस्थान कर जाते हैं।

चन्दौली में पश्चिम वाहिनी मां जान्हवी बलुआ गंगा नदी के तट पर पितृविसर्जन के अवसर पर गुरुवार को हजारों आस्थावान श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों एवं पितरों को जौ के आटे से बना पिंड, तिल का पिंडदान कर उन्हें तर्पण किया, तत्पश्चात ब्राहम्णों व भिक्षुओं को दान दक्षिणा प्रदान किया। गुरुवार को सुबह से ही बलुआ स्थिति गंगा तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गयी जो अपरान्ह तक श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पिंडदान तर्पण पूजन - अर्चन का कार्य चलता रहा। श्रद्धालु दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों से विभिन्न वाहनों से गंगा तट पर पहुंच रहे थे। बलुआ बाजार में दोनों तरफ पूजन की सामग्री एवं पिंडदान की सामग्री फल, फूल, मिठाई, जलेबी माला की खरीददारी कर गंगा तट पर अपने पूर्वजों को पिंडदान तर्पण किया। इसी प्रकार ग्रामिण क्षेत्रों में टांडा कला घाट, कावर, घाट, पुराविजयी, पुरागनेश, सोनबरसा, महमदपुर, सरौली, तिरगावा, हसनपुर, बड़गावां, नादी, निधौरा, सैफपुर, गंगा तट तथा तालाबों एवं सरोवरो पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर अपने पूर्वजों को पिंडदान तर्पण किया।

सैलून की दुकान पर पितृविसर्जन के अवसर पर जगह-जगह बैठे हजामियों व सैलून की दुकानों पर पिंडदान करने वालों की भीड़ लगी रही। लोग पितरों की शांति के लिए बाल, दाढ़ी, मुंडन करवाने के बाद गंगा नदी में स्नान कर शांति हेतु अपने पूर्वजों को पिंडदान तर्पण करने के बाद अपने घर पर बने विविध प्रकार के बने व्यंजनों को निकाल पितरों को चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हुए भोजन ग्रहण किये। बलुआ बाजार से चहनिया मार्ग पर व गंगा नदी तट पर पिंडदान करने वालों श्रद्धालुओं की भीड़-भाड़ व बाजार में वाहनों के जाम से श्रद्धालुओं को काफी फजीहत उठानी पड़ी इस दरम्यान पुलिस व्यवस्था नगण्य रही जिसको लेकर लोग आक्रोशित भी रहे।

पिंडदान करने आये वृद्धा की गंगा में डूबने से हुई मौत

आदमपुर थाना अंतर्गत भैसासुरघाट पर गुरुवार को बड़े बेटे दुर्गा साहू के साथ पितरों का पिंडदान करने आये डल्लू साहू (85) निवासी पंचकोशी पैगंबरपुर थाना सारनाथ की गंगा में नहाते समय गहरे पानी में जाने के कारण डूबने से मौत हो गई। मौत घंटों मशक्कत के बाद क्षेत्रीय गोताखोरों गजानंद सहानी महेंद्र साहनी संजय साहनी द्वारा शव को बाहर निकाला मृतक के तीन बेटा दुर्गा साहू, अशोक साहू, सतीश साहू, दो बेटी है। पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर परिजनों को सौंपा दिया।


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